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कुंडली में बनने वाले प्रेम योग की गणना शुभ योगों में होती है और यह एक ऐसा योग है
जैसे कि हम जानते हैं कि ज्योतिष शास्त्र में ग्रहों एवं नक्षत्रों को महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है। इनकी दशा और स्थिति में परिवर्तन व्यक्ति के जीवन को प्रभावित करने की अपार क्षमता रखती है। कुंडली में ग्रहों की स्थिति का असर मनुष्य जीवन के प्रत्येक क्षेत्र जैसे करियर व्यापार, स्वास्थ्य एवं वैवाहिक जीवन आदि पर भी पड़ता है। सिर्फ इतना भी नहीं, आपको आपका जीवनसाथी कब मिलेगा? इसका निर्धारण भी कुंडली में बनने वाले प्रेम योग से ही होता है जो कि ग्रहों की विशेष स्थिति से बनता है।
एस्ट्रोसेज का यह विशेष ब्लॉग आपको कुंडली में बनने वाले प्रेम योग के बारे में समस्त जानकारी प्रदान करेगा। साथ ही, उस अचूक के बारे में भी बात करेंगे जिससे कुंडली में प्रेम योग का निर्माण होगा। तो आइये, बिना देर किये शुरुआत करते हैं इस ब्लॉग की।
क्या होता है प्रेम योग?
कुंडली में बनने वाले प्रेम योग की गणना शुभ योगों में होती है और यह एक ऐसा योग है जो किसी व्यक्ति के जीवन में प्यार की बहार लेकर आता है। इस योग में जातक को प्रेम नाम का रोग लग जाता है। हालांकि, प्रेम योग के निर्माण में शुक्र, चंद्रमा और मंगल, इन तीनों ग्रहों की भूमिका अहम होती हैं। आपको बता दें कि प्रेम योग के प्रभाव से व्यक्ति को सच्चा प्यार मिलता है, लेकिन जिन लोगों की कुंडली में प्रेम योग मौजूद नहीं होता है या कमज़ोर होता है तो ऐसा व्यक्ति प्यार के लिए तरस जाता है। कुंडली में ग्रहों की दशा ही बताती है कि आपकी किस्मत में सच्चा प्यार है या नहीं। अब आगे बढ़ते हैं और जानते हैं कि कुंडली में प्रेम योग कब बनता है।
कब बनता है प्रेम योग?
कोई व्यत्कि यदि प्रेम विवाह करना चाहता है तो उसमें आसानी से सफलता प्राप्त करता है जबकि कुछ लोगों को प्रेम विवाह में अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ता है। ज्योतिष में शुक्र ग्रह को पति-पत्नी, प्रेम और भोग विलास का कारक माना गया है।
वैदिक ज्योतिष के अनुसार, जीवन में प्रेम पाने के लिए कुंडली में शुक्र ग्रह की स्थिति अच्छी होनी चाहिए क्योंकि प्रेम सुख पाने के लिए चंद्रमा, मंगल और शुक्र अहम भूमिका निभाते हैं। ऐसे में, जब जन्म कुंडली में ये तीनों ग्रह लाभदायक स्थिति में होते हैं तो उस व्यक्ति से आपका प्रेम विवाह होना निश्चित होता है जिसे आप पसंद करते हैं।
किसी व्यक्ति की कुंडली में प्रेम योग उस समय बनता है जब मंगल राहु या शनि एक साथ बैठे हो।
अगर किसी इंसान की कुंडली में सप्तमेश पर शुक्र, शनि या राहु की दृष्टि पड़ रही हो तब प्रेम विवाह के योग बनते हैं।
जब कुंडली में मंगल और शुक्र के संयोजन से किसी योग का निर्माण होता है या फिर इन दोनों ग्रहों का आपस में कोई संबंध होता है तो ऐसे जातक किसी के प्रेम में रंग सकते हैं।
यदि आपकी कुंडली में पांचवें भाव में राहु और केतु दोनों विराजमान हो, तो उस समय जातक के प्रेम विवाह होने के आसार प्रबल होते हैं।
कुंडली में प्रेम का ग्रह शुक्र या फिर चंद्रमा के लग्न भाव से पांचवें या नौवें भाव में स्थित होने पर व्यक्ति का प्रेम विवाह होता है।
पांचवें और सातवें भाव के स्वामी के कुंडली में एकसाथ बैठे होने पर जातक के जीवन में प्रेम दस्तक दे सकता है।
कुंडली में प्रेम योग न बनने पर करें ये उपाय
ज्योतिष शास्त्र में मनुष्य जीवन की हर समस्या का हल मिलता है। ऐसे में, जिन जातकों की कुंडली में प्रेम योग नहीं होता है उन्हें लगातार 3 महीने तक प्रत्येक गुरुवार मंदिर जाना चाहिए और प्रसाद चढ़ाना चाहिए और इस प्रसाद को आप दूसरों को भी दें। ऐसा करने से जल्द ही आपके प्रेम विवाह के योग बन जाएंगे
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Apurva Srivastav
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