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धर्म-अध्यात्म
किस कुंड में यज्ञ या हवन करने पर क्या मिलता है फल? जाने
Shiddhant Shriwas
4 Oct 2021 12:17 PM GMT
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सनातन परंपरा में धार्मिक-आध्यात्मिक कार्यों के दौरान अनेक प्रकार के यज्ञों का विधान बताया गया है
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। किसी भी साधना को सफल बनाने के लिए हमारे यहां यज्ञ का विधान है. यज्ञ विधान को विधि-विधान से संपन्न करने के लिए यज्ञ-कुण्डों का विशेष महत्व होता है. मूल रूप से यज्ञ कुंड आठ प्रकार के होते हैं, जिनका प्रयोग विशेष प्रयोजन हेतु ही किया जाता है. हर यज्ञ, कुण्ड की अपना एक विशेष महत्व होता है और उस यज्ञ कुंड के अनुरूप व्यक्ति को उस यज्ञ का पुण्य फल प्राप्त होता है. आइए जीवन से जुड़े तमाम दोषों को दूर करने और धन, वैभव, शत्रु, संहार, विश्व शांति, आदि की मनोकामनाओं को पूरा करने के लिए अलग-अलग कुण्डों का महत्व जानते हैं.
योनि कुण्ड
यज्ञ के लिए प्रयोग में लाया जाने वाला यह कुंड योनि के आकार का होता है. इस कुण्ड कुछ पान के पत्ते के आकार का बनाया जाता है. इस यज्ञ कुंड का एक सिरा अर्द्धचन्द्राकार होता है तथा दूसरा त्रिकोणाकार होता है. इस तरह के कुण्ड का प्रयोग सुन्दर, स्वस्थ, तेजस्वी व वीर पुत्र की प्राप्ति हेतु विशेष रूप से किया जाता है.
अर्द्धचन्द्राकार कुण्ड
इस कुण्ड का आकर अर्द्धचन्द्राकार रूप में होता है. इस यज्ञ कुंड का प्रयोग पारिवारिक जीवन से जुड़ी तमाम तरह की समस्याओं के निराकरण के लिए किया जाता है. इस यज्ञ कुंड में हवन करने पर साधक को सुखी जीवन का पुण्यफल प्राप्त होता है.
त्रिकोण कुण्ड
इस यज्ञ कुंड का निर्माण त्रिभुज के आकार में किया जाता है. इस यज्ञ कुण्ड का विशेष रूप से शत्रुओं पर विजय पाने और उन्हें परास्त करने के लिए किया जाता है.
वृत्त कुण्ड
वृत्त कुण्ड गोल आकृति लिए हुए होता है. इस कुण्ड का विशेष रूप से जन-कल्याण, देश में सुख-शांति बनाये रखने आदि के लिए किया जाता है. इस प्रकार के यज्ञ कुण्ड का प्रयोग प्राचीन काल में बड़े-बड़े ऋषि-मुनि किया करते थे.
समअष्टास्त्र कुण्ड
इस प्रकार के अष्टाकार कुण्ड का प्रयोग रोगों के निदान की कामना लिए किया जाता है. सुखी, स्वस्थ्य, सुन्दर और निरोगी बने रहने के लिए ही इस यज्ञ कुण्ड में हवन करने का विधान है.
समषडस्त्र कुण्ड
यह कुण्ड छः कोण लिए हुए होता है. इस प्रकार के यज्ञ कुण्डों का प्रयोग प्राचीन काल में बहुत अधिक होता था. प्राचीन काल में राजा-महाराजा शत्रुओं में वैमनस्यता का भाव जाग्रत करने के लिए इस प्रकार के यज्ञ कुण्डों का प्रयोग करते थे.
चतुष्कोणास्त्र कुण्ड
इस यज्ञ कुण्ड का प्रयोग साधक अपने अपने जीवन में अनुकूलता लाने के लिए विशेष रूप से करता है. इस यज्ञ कुण्ड में यज्ञ करने से व्यक्ति की भौतिक हो अथवा आध्यात्मिक दोनों ही प्रकार की इच्छाओं की पूर्ति होती है.
अति पदम कुण्ड
कमल के फूल के आकार लिए यह यज्ञ कुंड अठारह भागों में विभक्त दिखने के कारण अत्यंत ही सुन्दर दिखाई देता है. इसका प्रयोग तीव्रतम प्रहारों व मारण प्रयोगों से बचने हेतु किया जाता है.
Shiddhant Shriwas
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