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पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भगवान विष्णु ने आंवले को आदि वृक्ष के रूप में इसी दिन स्थापित किया था
जनता से रिश्ता वेबडेस्क | पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भगवान विष्णु ने आंवले को आदि वृक्ष के रूप में इसी दिन स्थापित किया था. जिसके बाद से आंवले के वृक्ष की भी पूजा की जाने लगी. यही कारण है कि इसे आमलकी एकादशी भी कहा जाता है. रंगभरी और आमलकी एकादशी में बस अंतर यह है कि इस रंगभरी एकादशी में महादेव की पूजा की जाती है जबकि आमलकी एकादशी श्री हरि की पूजा करने की परंपरा है.
क्या है इससे जुड़ी मान्यताएं
मान्यताओं के अनुसार इस दिन विधि-विधान से संयुक्त रूप से महादेव और भगवान विष्णु की पूजा करने से सेहत, तरक्की, सौभाग्य आदि की प्राप्ति होती है.
कैसे करें रंगभरी एकादशी पर पूजा, जानें विधि
सबसे पहले सुबह उठ कर नहा धो लें, स्वच्छ वस्त्र पहनें.
इसके बाद पूजा का संकल्प लें.
साफ-सुथरे पात्र में अब जल भर लें, संभव हो तो शिव मंदिर जाएं,
वहां उन्हें चंदन, गुलाल, अबीर और बेलपत्र चढ़ाएं.
सबसे पहले शिवलिंग पर चंदन लगाएं
फिर, बेलपत्र और जल अर्पित करें.
इसके बाद गुलाल और अबीर से चढ़ाएं
अब धूप, दीपक दिखा मंत्र जाप करें
उनसे अपनी मनोकामनाएं मांगे, भगवान भोलेनाथ को विधि-विधान से पूजने से सभी परेशानियां दूर होती है

Ritisha Jaiswal
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