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सिद्ध कुंजिका स्तोत्र पाठ की विधि
जिस प्रकार किसी भी मंत्र अथवास्रोत का पाठ करने के लिए विशेष तरीका होता है उसी प्रकार कुंजिका स्त्रोत्र का पाठ करने के लिए भी एक आसान सी विधि है। यदि आप उसे विधि का पालन करते हुए कुंजिका स्त्रोत का पाठ करते हैं तो आपको अति शीघ्र ही मनोवांछित फलों की प्राप्ति हो सकती है। यह विधि निम्नांकित है:
विशेष रूप से नवरात्रि और गुप्त नवरात्रि के दौरान आपको सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का नियमित पाठ करना चाहिए।
इस स्तोत्र का पाठ विशेष रूप से संधि काल में किया जाता है। संधि काल वह समय होता है जब एक तिथि समाप्त हो रही हो और दूसरी तिथि आने वाली हो।
विशेष रूप से जब अष्टमी तिथि और नवमी तिथि की संधि हो तो अष्टमी तिथि के समाप्त होने से 24 मिनट पहले और नवमी तिथि के शुरू होने के 24 मिनट बाद तक का जो कुल 48 मिनट का समय होता है उस दौरान की माता ने देवी चामुंडा का रूप धारण किया थाऔर चंद तथा मुंड नाम के राक्षसों को मृत्यु के घाट उतार दिया था। यही वजह है कि इस दौरान कुंजिका स्तोत्र का पाठ करना सर्वोत्तम फलदायी माना जाता है। इस समय को नवरात्रि का सबसे शुभ समय माना गया है क्योंकि इसी समय के समाप्त होने के बाद देवी वरदान देने को उद्यत होती हैं।
आपको इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि चाहें आप कितने भी थक जाएं लेकिन आपको पाठ करना बंद नहीं करना चाहिए और पूरे 48 मिनट तक लगातार सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पाठ करना चाहिए।
इसके अतिरिक्त स्त्रोत्र का पाठ दिन में किसी भी समय किया जा सकता है लेकिन विशेष रूप से ब्रह्म मुहूर्त के दौरान इसका पाठ करना सबसे अधिक प्रभावशाली माना जाता है। ब्रह्म मुहूर्त सूर्य उदय होने से एक घंटा 36 मिनट पहले प्रारंभ होता है और सूर्य देव के समय से 48 मिनट पहले ही समाप्त हो जाता है। इस प्रकार यह कुल 48 मिनट का समय होता है।
हर स्थान के लिए सूर्योदय के समय में अंतर होता है इसलिए यदि आपको अपने स्थान का सूरत है का समय ज्ञात ना हो तो एक साधारण रूप से आप प्रातः 4:25 बजे से लेकर 5:13 बजे के बीच इस पाठ को कर सकते हैं।
नवरात्रि के दिनों में तो इस पाठ का सबसे अधिक प्रभाव रहता है। यह एक छोटा सा स्तोत्र है जो संस्कृत में लिखा है। यदि आप संस्कृत भाषा नहीं जानता इस पाठ को संस्कृत भाषा में नहीं कर सकते तो हिंदी में इसका अर्थ जानकर हिंदी भाषा में भी इसका पाठ कर सकते हैं। यदि आप यह भी नहीं कर सकते तो आप केवल इस स्तोत्र को सुन सकते हैं।
वैसे तो आप अपनी सुविधानुसार किसी भी प्रकार से इस स्तोत्र का पाठ कर सकते हैं लेकिन यदि आप लाल आसन पर बैठकर और लाल रंग के कपड़े पहन कर यह स्रोत पढ़ते हैं तो आपको इसका और भी अधिक फल प्राप्त होता है क्योंकि लाल रंग देवी दुर्गा को अत्यंत प्रिय है।
यदि किसी विशेष कार्य के लिए आप कुंजिका स्तोत्र का पाठ कर रहे हैं तो आप को शुक्रवार के दिन से प्रारंभ करना चाहिए और संकल्प लेकर ही इसका पाठ करें तथा जितने दिन के लिए आपने पाठ करने का संकल्प लिया था, उतने दिन पाठ करने के बाद माता को भोग लगाकर छोटी कन्याओं को भोजन कराएं और उनके चरण छूकर आशीर्वाद लें। इससे आपकी मन वांछित इच्छाएं पूर्ण होंगी।
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Apurva Srivastav
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