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वास्तुशास्त्र हर किसी के जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता हैं और ये दिशाओं पर आधारित माना जाता हैं इसमें हर एक दिशा को लेकर नियम बताए गए हैं जिसके अनुसार चलने से लाभ मिलता हैं लेकिन अनदेखी समस्याओं को पैदा करती हैं वास्तु विज्ञान में चारों दिशाओं में सबसे अधिक अहम पश्चिम दिशा को बताया गया हैं, इस दिशा में वरुण देव का आधिपत्य होता हैं। ऐसे में आज हम आपको अपने इस लेख द्वारा पश्चिम दिशा के महत्व से अवगत करा रहे हैं, तो आइए जानते हैं क्या कुछ खास है इस दिशा में।
वास्तु अनुसार पश्चिम दिशा—
वास्तुशास्त्र के अनुसार पश्चिम दिशा में वरुण देव और शनि देव का आधिपत्य होता हैं। यही कारण है कि अगर पश्चिम दिशा में कोई वास्तुदोष होता हैं तो जातकों को अपने जीवन में कष्टों का सामना करना पड़ सकता हैं। इस दिशा को शनि की दिशा माना जाता हैं ऐसे में इस दिशा की ओर बैठकर कार्य करना निषेध बताया गया हैं।
वास्तु अनुसार इस दिशा में बैठकर कार्य करना या फिर सोना या बैठना जातक को मानसिक तनाव से ग्रस्ति कर सकता हैं ऐसे में इस दिशा में इन कार्यों को नहीं करना चाहिए। इसके अलावा घर की पश्चिम दिशा की उंचाई अन्य स्थानों से कम नहीं होनी चाहिए वरना घर के लोगों को स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता हैं। इसके अलावा मुख्य का धन हमेशा बीमारियों में खर्च होता रहता हैं।
वास्तुविज्ञान की मानें तो अगर घर का पानी पश्चिम दिशा से होते हुए बाहर जाता हैं तो ऐसे में घर के पुरुषों को लंबी बीमारी का सामना करना पड़ता हैं। इसके अलावा अगर इस दिशा में किसी तरह का वास्तुदोष होता हैं तो परिवार को निर्धनता और बेरोजगारी का सामना करना पड़ता हैं। अगर घर का प्रवेश द्वार पश्चिम दिशा की ओर हो तो घर में धन अधिक समय तक नहीं टिकता हैं।
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