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जनेऊ तीन धागों वाला एक सूत्र होता है जिसे हिंदू धर्म में पुरुष धारण करते हैं. इसे बेहद पवित्र माना गया है और इसकी शुद्धता को बनाए रखने के लिए जनेऊ के कुछ नियम भी बनाए गए हैं
जनता से रिश्ता वेबडेस्क | जनेऊ तीन धागों वाला एक सूत्र होता है जिसे हिंदू धर्म में पुरुष धारण करते हैं. इसे बेहद पवित्र माना गया है और इसकी शुद्धता को बनाए रखने के लिए जनेऊ के कुछ नियम भी बनाए गए हैं.
जनेऊ
हिंदू धर्म में यज्ञोपवीत संस्कार को प्रमुख संस्कारों में से एक माना जाता है. यज्ञोपवीत को ही जनेऊ कहा जाता है. जनेऊ तीन धागों वाला एक सूत्र होता है जिसे पुरुष अपने बाएं कंधे के ऊपर से दाईं भुजा के नीचे तक पहनते हैं. जनेऊ को बेहद पवित्र माना जाता है और शास्त्रों में इसके तमाम नियम भी बताए गए हैं, जिनका कड़ाई से पालन करना जरूरी होता है.
कुछ लोगों के घर में जनेऊ संस्कार बचपन में ही संपन्न हो जाता है और कुछ लोग इसे विवाह से पहले संपन्न कराते हैं. जनेऊ धारण करने के बाद ही बालक को यज्ञ व स्वाध्याय करने का अधिकार प्राप्त होता है. हालांकि आज की नई पीढ़ी को जनेऊ पहनना आउट ऑफ फैशन लगता है, लेकिन वास्तव में इसे पहनने के तमाम फायदे हैं. यहां जानिए इसके महत्व, नियम और फायदों के बारे में.
इसलिए जनेऊ माना जाता है बेहद पवित्र
जनेऊ तीन सूत्रों से मिलकर बना है. इसे देवऋण, पितृऋण और ऋषिऋण का प्रतीक माना जाता है. साथ ही इसे सत्व, रज और तम का भी प्रतीक कहा जाता है. यज्ञोपवीत के एक-एक तार में तीन-तीन तार होते हैं. इस तरह जनेऊ नौ तारों से निर्मित होता है. ये नौ तार शरीर के नौ द्वार एक मुख, दो नासिका, दो आंख, दो कान, मल और मूत्र माने गए हैं. इसमें लगाई जाने वाली पांच गांठें ब्रह्म, धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष का प्रतीक मानी गई हैं. इसलिए जनेऊ को हिन्दू धर्म में बहुत पवित्र माना जाता है और इसकी शुद्धता को बनाए रखने के लिए लिए इसके नियमों का पालन करना जरूरी बताया गया है.
ये हैं नियम
– यज्ञोपवीत को मल-मूत्र विसर्जन के पूर्व दाहिने कान पर चढ़ा लेना चाहिए और हाथों को साफ करने के बाद ही इसे कान से उतारना चाहिए.
– यज्ञोपवीत का कोई तार टूट जाए या 6 माह से अधिक समय हो जाए तो इसे बदल लेना चाहिए.
– इससे पहनने के बाद तभी उतारा जाता है, जब आप नया यज्ञोपवीत धारण करते हैं. इसे कंठ में घुमाते हुए ही धो लिया जाता है.
– किसी भी व्यक्ति को तभी जनेऊ धारण करना चाहिए जब वो इसके नियमों को पूरी तरह पालन करने में सक्षम हो.
इसके स्वास्थ्य लाभ भी जानिए
मल-मूत्र त्याग के समय कान पर जनेऊ लपेटने का वैज्ञानिक आधार है. दरअसल जब इसे कान पर लपेटा जाता है तो कान के पास से से गुजरने वाली उन नसों पर दबाव पड़ता है. इन नसों का संबन्ध आंतों से होता है. ऐसे में व्यक्ति कब्ज आदि परेशानियां नहीं होतीं और पेट अच्छे से साफ होता है. जनेऊ धारण करने और इसके पूरे नियमों का पालन करने से बुरे सपने नहीं आते. जनेऊ पहनने से शरीर में रक्त प्रवाह अच्छी तरह होता है. ऐसे में हृदय रोग और ब्लडप्रेशर की समस्या नहीं होती और व्यक्ति की स्मरण शक्ति बेहतर होती है. साथ ही विचारों में शुद्धता आती है
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