धर्म-अध्यात्म

कालाष्‍टमी व्रत का क्या है महत्‍व

Apurva Srivastav
10 May 2023 3:47 PM GMT
कालाष्‍टमी व्रत का क्या है महत्‍व
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भगवान शिव बहुत जल्दी अपने भक्तों से प्रसन्न हो जाते हैं और अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं. इसलिए उन्हें देवों के देव महादेव कहा जाता है. काल भैरव को भगवान शिव का अवतार माना गया है. कालाष्टमी का दिन इनकी पूजा के लिए श्रेष्ठ माना जाता है. कालाष्टमी हर साल ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है. इस बार यह तिथि 12 मई 2023 को पड़ रही है. जो व्यक्ति कालाष्टमी के दिन पूरी श्रद्धा से काल भैरव की पूजा करता है, उनके सभी दुख और कष्ट समाप्त हो जाते हैं.
तांत्रिकों के लिए भी कालाष्टमी का बहुत महत्व है. इस रात को तंत्र सीखने वाले काल भैरव की पूजा करते हैं और सफलता पाने के लिए अनुष्ठान करते हैं.
कालाष्टमी शुभ मुहूर्त
कालाष्टमी तिथि 12 मई को सुबह 9:06 बजे से शुरू होकर अगले दिन यानी 13 मई 2023 को सुबह 6:50 बजे समाप्त होगी. हालांकि मान्यताओं के अनुसार रात में काल भैरव की पूजा की जाती है. ऐसे में व्रत 12 मई को ही रखा जाएगा

कालाष्‍टमी व्रत का क्या है महत्‍व

कालाष्टमी के दिन भगवान काल भैरव की पूजा होती है. इस दिन व्रत रखने से आपके मन से हर तरह का डर दूर हो जाता है. जिन लोगों को रात में बुरे सपने आते हैं उन्हें कालाष्टमी के दिन भगवान काल भैरव की पूजा करनी चाहिए. ऐसा करने से उन्हें रात में डर नहीं लगेगा.
पूजा विधि
कालाष्टमी के दिन सूर्योदय से पहले स्नान करके तैयार हो जाएं. व्रत रखने वाले लोग काले रंग के वस्त्र धारण कर सकते हैं. इसके बाद काल भैरव का ध्यान करते हुए हाथ में गंगाजल लेकर व्रत का संकल्प लें. काल भैरव को धतूरा, दूध, दही, बेलपत्र, धूप, दीप, फल, फूल, पंचामृत चढ़ाएं और काल भैरव के मंत्रों का जाप करें. शाम को आरती कर फलाहार लें. अगले दिन व्रत तोड़ने के बाद जरूरतमंदों को दान अवश्य करें.
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