धर्म-अध्यात्म

बेलपत्र का क्या है महत्व, महादेव जी की पूजा में, जानें इसे तोड़ने और चढ़ाने की सही विधि

Neha Dani
10 July 2023 9:26 AM GMT
बेलपत्र का क्या है महत्व, महादेव जी की पूजा में, जानें इसे तोड़ने और चढ़ाने की सही विधि
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धर्म अध्यात्म: शिव की पूजा के लिए सबसे उत्तम माना जाने वाला श्रावण मास प्रारंभ हो चुका है. देवों के देव महादेव की पूजा पुण्यफल पाने के लिए आप कभी भी उनका पूजन, भजन और सुमिरन करके पुण्यफल पा सकते हैं लेकिन इसमें पड़ने वाले सोमवार के दिन की जाने वाली पूजा का बहुत ज्यादा महत्व बढ़ जाता है. हिंदू मान्यता के अनुसार यदि कोई शिव भक्त सावन के सोमवार पर भगवान शिव को जल और बिल्व पत्र यानि बेलपत्र चढ़ाए तो भगवान शिव उसको मनचाहा वरदान देते हैं, लेकिन ऐसा करने से पहले इसे तोड़ने और चढ़ाने का नियम जरूर जान लें, अन्यथा आपको पुण्य की बजाय पाप का भागीदार बनना पड़ सकता है. सावन सोमवार की पूजा के लिए कब तोड़ें बेल पत्र हिंदू धर्म में पेड़-पौधे को देवी-देवताओं के समान न सिर्फ पूजा जाता है बल्कि उनका स्वरूप मानकर पूजा भी की जाती है. जिस प्रकार भगवान श्री विष्णु की पूजा में तुलसी का बहुत नियम है, उसी प्रकार देवों के देव महादेव की पूजा में बेल के पेड़ का बहुत माना गया है. मान्यता है कि इस पावन वृक्ष में शिव का वास होता है. यही कारण है कि शिव भक्त भगवान भोलेनाथ की पूजा में न सिर्फ इसका फल बल्कि पत्तियां विशेष रूप से तोड़कर चढ़ाते हैं. जिस प्रकार एकादशी के दिन तुलसी पत्र तोड़ना मना होता है, कुछ वैसे ही सोमवार के दिन बेलपत्र और बेल का फल नहीं तोड़ा जाता है. ऐसे में शिव पूजा के लिए एक दिन पहले ही बेलपत्र तोड़ लें. किस दिन नहीं तोड़ा जाता है बेलपत्र
हिंदू मान्यता के अनुसार भगवान शिव के प्रिय बेलपत्र को न सिर्फ सोमवार बल्कि हर मास की चतुथी तिथि, अष्टमी तिथि, नवमी तिथि, चतुर्दशी तिथि और अमावस्या तिथि के दिन भूलकर भी बेलपत्र नहीं तोड़ना चाहिए. इसके अलावा संक्रांति के दिन भी बेलपत्र और बेल का फल नहीं तोड़ना चाहिए. यदि आपको शिव पूजा करना हो तो इससे ठीक एक दिन पहले बेलपत्र तोड़कर रख लेना चाहिए. शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाने की सही विधि सावन के सोमवार या फिर किसी भी दिन शिव पूजा के लिए बिल्वपत्र का प्रयोग करने के लिए सबसे पहले यह देखें कि वह कटा-फटा न हो और उसके बाद उसकी डंठल को तोड़ लें. इसके बाद बेलपत्र को साफ पानी से धोकर भगवान भोलेनाथ को अर्पण करें. बेलपत्र को हमेशा कुछ इस तरह से चढ़ाएं कि उसका चिकना हिस्सा हमेशा ऊपर की तरुफ रहे. बेलपत्र को चढ़ाते समय देवों के देव महादेव के ॐ नमः शिवाय मंत्र का जप करते रहें. बेलपत्र हमेशा एक, पांच, ग्यारह या फिर इक्कीस अथवा 108 की संख्या में चढ़ाएं
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