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आप सभी ने ज्योतिर्लिंग और शिवलिंग के बारे में सुना होगा. महाशिव रात्री के दिन शिवलिंग पर दूध, जल, फल, फूल आदि चढ़ाते हैं. ज्योतिर्लिंग की पूजा करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है. काफी लोगों को लगता है कि ज्योतिर्लिंग और शिवलिंग दोनो एक ही हैं, पर ऐसा नहीं है इन दोनों मे बुहत बड़ा अंतर है. आइए जानते हैं कि ये दोनो एक दूसरे से कैसे अलग हैं.
ज्योतिर्लिंग की ये है कहानी
शिवपुराण की एक कथा के अनुसार, ब्रह्मा जी और भगवान विष्णु के बीच इस बात पर विवाद हो गया था कि दोनो में से बड़ा कौन है. इस लड़ाई का समाधान निकालने के लिए भगवान शिव एक बड़े ज्योति स्तंभ के रूप में प्रकट हुए जिसके प्रकाश को ये दोनो लोग सह नहीं पाए और तब जाकर इनके भ्रम का नाश हुआ. इसी ज्योति स्तंभ को ज्योतिर्लिंग कहते हैं. लिंग का अर्थ प्रतीक होता है, इसीलिए ज्योतिर्लिंग भगवान के ज्योति के रूप में प्रकट होने का और सृष्टी का निर्माण करने का प्रतीक है.
ज्योतिर्लिंग और शिवलिंग में ये हैं अंतर
ज्योतिर्लिंग हमेशा अपने आप प्रकट होते हैं पर शिवलिंग मानव द्वार बनाए और स्वयंभू दोनों हो सकते हैं. हिंदु धर्म में कुल 12 ज्योतिर्लिंग के बारे में बताया गया है.
12 ज्योतिर्लिंग के नाम
आज जंहा भी ज्योतिर्लिंग स्थापित थे वहां सोमेश्वर या सोमनाथ, श्रीशैलम मल्लिकार्जुन, महाकालेश्वर, ओंकारेश्वर, केदारेश्वर, भीमाशंकर, विश्वेश्वर, त्र्यम्बकेश्वर, वैद्यनाथ महादेव, नागेश्वर महादेव, रामेश्वरम और घुष्मेश्वर जैसे भव्य मंदिर बना दिए गए हैं. सोमनाथ को प्रथम ज्योतिर्लिंग माना जाता है जो कि गुजरात में स्थित है.