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हिंदू धर्म में साल भर में मनाए जाने वाले व्रत त्योहार में तीन तीज का विशेष महत्व होता है। तीज का त्योहार सुहागिन महिलाओं के लिए बेहद खास त्योहार होता है। तीज का त्योहार साल भर में तीन बार मनाया जाता है। जिसमें हरियाली तीज (Hariyali Teej), कजरी तीज ( Kajri Teej) और हरतालिका तीज (Hartalika Teej)। तीज का त्योहार सुहागिन महिलाएं अपने पति समेत परिवार के सभी सदस्यों की सुख,समृद्धि, अच्छी सेहत और लंबी आयु के लिए कामना के लिए रखती हैं। तीज त्योहार में महिलाएं निर्जला उपवास रखते हुए भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा-अर्चना करती हैं। हरियाली तीज,कजरी तीज और हरतालिका तीज में बहुत समानताएं है लेकिन कुछ अंतर भी है आइए जानते हैं इन तीन तीज त्योहार का महत्व और अंतर...
हरियाली तीज 2022 हिंदू कैलेंडर के अनुसार हरियाली तीज का त्योहार श्रावण माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि पर मनाई जाती है। हरियाली तीज को श्रावणी तीज के नाम से भी जाना जाता है। इस वर्ष हरियाली तीज 31 जुलाई को मनाई जाएगी। हरियाली तीज पर भगवान शिव और माता पार्वती की विशेष रूप से पूजा-अर्चना की जाती है। हरियाली तीज पर महिलाएं दिनभर निर्जला व्रत रखते हुए भगवान शिव और माता पार्वती की विशेष पूजा-आराधना की जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार हरियाली तीज की तिथि पर ही भगवान शिव ने देवी पार्वती को पत्नी के रूप में स्वीकार किया था। हरियाली तीज पर सुहागिन महिलाएं अखंड सौभाग्य और सुख-समृद्धि की कामना के साथ देवी पार्वती संग भगवान शिव की आराधना करती हैं। हरियाली तीज से एक दिन पहले नवविवाहित लड़की की ससुराल से वस्त्र, आभूषण, श्रृंगार का सामान,मेहंदी और मिठाई भेजी जाती है। हरियाली तीज पर धरती पर हरियाली चादर बिछी हुई होती है।
कजरी तीज 2022
हिंदू पंचांग के अनुसार भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि पर कजरी तीज का त्योहार मनाया जाता है। इसे कजली तीज, बूढ़ी तीज और सातूड़ी तीज के नाम से भी जाना जाता है। कजरी तीज के त्योहार को मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश,बिहार, मध्य प्रदेश और राजस्थान में मनाया जाता है। कजरी तीज भी सुहागिन महिलाओं के लिए विशेष होता है। यह व्रत सुहागिन महिलाएं वैवाहिक जीवन में सुख और समृद्धि के लिए रखती हैं। कजरी तीज में सुहागिन महिलाएं भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करती हैं। इस साल कजरी तीज का त्योहार 14 अगस्त को मनाई जाएगी।
हरितालिका तीज
हिंदू पंचांग के अनुसार भाद्रपद माह की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरतालिका तीज के नाम से जाना जाता है। इसे उत्तर और मध्य भारत में तीजा के नाम भी जाना जाता है। विवाहित महिलाएं अपने अखंड सौभाग्य की कामना के लिए यह व्रत रखती हैं और अविवाहित लड़कियां अच्छे वर की कामना के लिए भी इस व्रत को रखती हैं।शिव पुराण के अनुसार भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए मां पार्वती ने इस व्रत को रखा था, इसलिए इस व्रत का महत्व बढ़ जाता है। तब पार्वती जी के तप और आराधना से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने माता पार्वती को पत्नी के रूप में स्वीकार किया था।हरतालिका तीज में महिलाएं पूरे दिन बिना जल ग्रहण किए व्रत का पालन करती है और व्रत के अगले दिन जल ग्रहण करती हैं।