धर्म-अध्यात्म

क्या है शोभामणि रत्न और इसके फायदे

Apurva Srivastav
7 Feb 2023 5:40 PM GMT
क्या है शोभामणि रत्न और इसके फायदे
x
इस उपरत्न को धारण करने से भय, निराशा, नकारात्मकता मिट जाती है
रत्न और उपरत्न कई प्रकार के होते हैं। जैसे- मूंगा (प्रवाल), ओपल या हीरा, पन्ना, मोती, माणिक, पुखराज, नील, गोमेद, लहसुनिया सुलेमानी पत्थर, वैक्रांत, यशद, फिरोजा, अजूबा, अहवा, अबरी, अमलिया, उपल, उदाऊ, कर्पिशमणि, कसौटी, कटैला, कांसला, कुरण्ड, कुदरत, गुदड़ी, गोदंती, गौरी, चकमक, चन्द्रकांत, चित्तो, चुम्बक, जबरजद्द, जहर मोहरा, जजेमानी, झरना, टेढ़ी, डूर, तिलियर, तुरसावा, तृणमणि, दाने फिरग, दांतला, दारचना, दूरनजफ, धुनला, नरम या लालड़ी, नीलोपल या लाजवर्त, पनघन, हकीक, पारस, फाते जहर, फिरोजा, बसरो, बांसी, बेरुंज, मरगज, मकड़ी, मासर मणि, माक्षिक, मूवेनजफ, रक्तमणि या तामड़ा, रक्ताश्म, रातरतुआ, लास, मकराना, लूधिया, शेष मणि, शैलमणि या स्फटिक, शोभामणि या वैक्रांत, संगिया, संगेहदीद, संगेसिमाक, संगमूसा, संगमरमर, संगसितारा, सिफरी, सिन्दूरिया, सींगली, सीजरी, सुनहला, सूर्यकांत, सुरमा, सेलखड़ी, सोनामक्खी, हजरते बेर, हजरते ऊद, हरितोपल, हरितमणि आदि। प्राचीन ग्रंथों में रत्नों के 84 से अधिक प्रकार बताए गए हैं। उनमें से बहुत तो अब मिलते ही नहीं। आओ जानते हैं शोभामणि या वैक्रांत रत्न के बारे में संक्षिप्त जानकारी।
1. शोभामणि रत्न को संस्कृत में वैक्रांत कहते हैं। अंग्रेजी में इसे टूमलाइन या टूरमैलीन भी कहते हैं जिसका बिगड़ा हुआ रूप है तुरमली।
2. शोभामणि की गणना ताप विद्यत रत्नों में की जाती है। यह एक पारदर्शी उपरत्न है।
3. सभी रंगों में पाए जाने के कारण इस उपरत्न को 'कलर कॉकटेल' भी कहा जाता है। यह दोरंगी और बहुरंगी भी होता है और हर रंग के रत्न के गुण अलग अलग होते हैं।
4. इस उपरत्न को धारण करने से भय, निराशा, नकारात्मकता मिट जाती है और व्यक्ति के जीवन में शांति तथा स्थिरता बनी रहती है।
5. इस रत्न धारणकर्त्ता को यह रत्न सभी खतरों तथा दुर्भाग्य से बचाता है। यह दुर्घटना से व्यक्ति की रक्षा करता है। इसे धारण करने से नींद अच्छी आती है।
6. इस उपरत्न को धारण करने से व्यापार, व्यवसाय, उद्योग अथवा नौकरी, कोर्ट-कचहरी आदि से जुड़े कार्यों में सफलता मिलती है।
7. इस उपरत्न को कोई भी व्यक्ति धारण कर सकता है। फिर भी एक बार ज्योतिष की सलाह जरूर लें।
8. मंगल और शनिवार को छोड़कर किसी भी दिन इस रत्न को धारण कर सकते हैं।
9. मध्यकाल में इस उपरत्न का उपयोग शारीरिक तथा मानसिक चिकित्सा पद्धति के रुप में किया जाता था।
10. लाल रंग का रत्न रचनात्मक कार्य करने की क्षमता बढ़ाता है और काले रंग का रत्न चिंतामुक्त करता है।
11. हरे रंग का तुरमली बुध के रत्‍न पन्‍ना का उपरत्‍न माना जाता है। तुरमली के प्रमुख रंगों में गहरा पीला, लाल, गुलाबी, हल्‍का नीला या नीलापन लिए हुए हरा, हरा, भूरापन लिए हुए काला, काला और रंगहीन हैं।
Tagsवास्तु दोषवास्तु दोष उपायवास्तु दोष निवारण के उपायवास्तु शास्त्रवास्तु शास्त्र का ज्ञानवास्तु के नियमवास्तु टिप्सकुछ महत्वपूर्ण वास्तु नियमसनातन धर्महिंदू धर्मभारतीय ज्योतिष शास्त्रज्योतिष शास्त्रVastu DoshaVastu Dosha RemediesVastu ShastraKnowledge of Vastu ShastraRules of VastuVastu TipsSome Important Vastu RulesSanatan DharmaHinduismIndian AstrologyAstrologyताज़ा समाचारब्रेकिंग न्यूजजनता से रिश्ताजनता से रिश्ता न्यूज़लेटेस्ट न्यूज़न्यूज़ वेबडेस्कआज की बड़ी खबरआज की महत्वपूर्ण खबरहिंदी खबरबड़ी खबरदेश-दुनिया की खबरराज्यवार हिंदी समाचारआज का समाचारनया समाचारदैनिक समाचारभारत समाचारखबरों का सिलसीलादेश-विदेश की खबरTaaza SamacharBreaking NewsJanta Se RishtaJanta Se Rishta NewsLatest NewsNews WebdeskToday's Big NewsToday's Important NewsHindi NewsBig NewsCountry-World NewsState-wise Hindi NewsToday's Newsnew newsdaily newsindia newsseries of newsnews of country and abroad
Apurva Srivastav

Apurva Srivastav

    Next Story