धर्म-अध्यात्म

खरमास क्या है,जानें खरमास में क्या करें और क्या न करें

Kajal Dubey
14 March 2022 9:18 AM GMT
खरमास क्या है,जानें खरमास में क्या करें और क्या न करें
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हिंदू धर्म में खरमास का विशेष महत्व है.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। हिंदू धर्म में खरमास का विशेष महत्व है. इसमें किसी भी प्रकार के शुभ और मांगलिक कार्यों पर रोक लग जाती है. खरमास के लगते ही हर प्रकार के मांगलिक कार्य भी रोक दिए जाते हैं. इस बार खरमास 14 मार्च, सोमवार की रात से शुरू हो रहा है और 14 अप्रैल तक चलेगा. सूर्य का कुंभ की राशि से निकलकर मीन राशि में प्रवेश होने के कारण खरमास लग जाएगा.

हिंदू पंचाग के अनुसार 14 मार्च की रात 2.39 बजे सूर्य कुंभ से निकलकर गुरु की राशि मीन में प्रवेश करेंगे और 14 अप्रैल को सुबह 10.53 बजे मेष राशि में प्रवेश करने से खरमास समाप्त हो जाएगा. आइए जानते हैं क्या होता खरमास और क्या है इसका महत्व.
क्या होता है खरमास
सूर्य के मीन या फिर धनु राशि में गोचर करने की अवधि खरमास कहलाती है. ज्योतिषियों के अनुसार सूर्य देव जब गुरु की राशि धनु या फिर मीन में प्रवेश करते हैं, तो उस राशि के जातकों के लिए अच्छा नहीं होता. बृहस्पति सूर्यदेव के गुरु हैं. ऐसे में सूर्यदेव एक महीने तक अपने गुरु की सेवा करते हैं. खरमास के दौरान नियमों का पालन करना जरूरी होती है. इस दौरान कुछ चीजों का उल्लेख किया गया है कि क्या करें और क्या नहीं.
खरमास में क्या करें-
- ज्योतिषियों के अनुसार खरमास के दिनों में भगवान भास्कर की पूजा और उपासना करने से साधक को सुख, शांति और समृद्धि की प्राप्ति होती है.
- कहते हैं कि खरमास में भगवान विष्णु की पूजा करने से समस्त पापों का नाश होता है. साथ ही घर में यश-वैभव का आगमन होता है.
- धार्मिक ग्रंथों में कहा गया है कि इन दिनों में गौ माता, गुरुदेव और साधुजनों की सेवा करें. इससे शुभ फल की प्राप्ति होती है.
- खरमास के दौरान नियमित रूप से भगवान भास्कर को लाल रंग युक्त जल का अर्ध्य दें. साथ ही, सूर्य मंत्र का जाप करना लाभदायी है.
- खरमास में गरीबों और जरूरतमंदों को सामर्थ्य अनुसार दान अवश्य करें.
खरमास में क्या न करें-
- इस दौरान मांगलिक कार्यों की मनाही होती है. इसलिए इन दिनों में कोई भी शुभ कार्य न करें.
- तामसिक भोजन से बचें.
- किसी से वाद-विवाद न करें.
- ज्योतिषियों के अनुसार खरमास में बेटी या बहू की विदाई नहीं करनी चाहिए.
- कारोबार का श्रीगणेश न करें.
- देवी-देवताओं और पक्षियों के प्रति अप्रिय शब्दों का प्रयोग बिल्कुल न करें.


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