धर्म-अध्यात्म

इंद्र सभा में ऐसा क्या हुआ जो माल्यवान को देना पड़ा श्राप, जानें कथा

Teja
11 Feb 2022 8:22 AM GMT
इंद्र सभा में ऐसा क्या हुआ जो माल्यवान को देना पड़ा श्राप, जानें कथा
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इस बार जया एकादशी 12 फरवरी दिन शनिवार को मनाई जा रही है. हर एकादशी का अपना एक महत्व होता है.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क | इस बार जया एकादशी 12 फरवरी दिन शनिवार को मनाई जा रही है. हर एकादशी का अपना एक महत्व होता है. माघ शुक्ल में आने वाली जया एकादशी (Jaya Ekadashi) को विधि विधान से करने से नीच योनि से मुक्ति मिल सकती है. साथ ही व्यक्ति मृत्यु के बाद मोक्ष को प्राप्त कर लेता है. इस दिन व्रत (Jaya Ekadashi Vrat Katha) करने से व्यक्ति अपनी सभी इच्छाओं की पूर्ति कर सकता है. इस दिन व्यक्ति को जया एकादशी व्रत कथा जरूर पड़नी चाहिए. आइए जानते हैं एकादशी व्रत कथा कौन-सी है, जिसे पढ़ने से व्यक्ति अपने पाप दोषों से मुक्ति पा सकता है.

जया एकादशी व्रत कथा
धर्मराज युधिष्ठिर ने भगवान श्रीकृष्ण से पूछा- माघ शुक्ल में आने वाली एकादशी व्रत की क्या महत्ता है. तब श्री कृष्ण ने जया एकादशी की व्रत कथा सुनाई. जो इस प्रकार है
एक बार इंद्र की सभा में उत्सव हो रहा था. तब गंधर्वों में प्रसिद्ध माल्यवान सभा में गीत गा रहा था. परंतु उसका मन अपनी सुंदरी में असक्त था. ऐसे में स्वर और लय भंग होने पर इंद्र क्रोध में आ गए. तब उन्होंने क्रोधित होकर कहा – हे दुष्ट गंधर्व तू जिसकी याद में मस्त है वह राक्षसनी हो जाएगी. यह सब सुनकर माल्यवान बहुत घबराया और इंद्र से क्षमा याचना करने लगा. इंद्र के कुछ ना बोलने पर वह घर चला आया. यहां आकर देखने पर उसकी पत्नी सच में पिशाचिनी रूप में मिली. श्राप निवृत्ति के लिए उसने करोड़ों जतन करें लेकिन सफलता नहीं मिली. तब वह थक कर बैठ गया. तब उसका साक्षात्कार ऋषि नारद से हुआ. ऋषि नारद ने गंधर्व से उसके दुख का कारण पूछा. जब गंधर्व ने पूरी बात बताई तो नारद ने माघ शुक्ल पक्ष की जया एकादशी के व्रत को करने के लिए कहा. माल्यवान ने श्रद्धा पूर्वक एकादशी का व्रत किया और उसकी पत्नी श्रापमुक्त हो गई.


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