धर्म-अध्यात्म

शनिश्चरी अमावस्या के क्या है नियम

Kiran
7 Oct 2023 4:18 PM GMT
शनिश्चरी अमावस्या के क्या है नियम
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हिंदू धर्म में पूर्णिमा और अमावस्या तिथि को बेहद ही खास माना गया हैं जो कि हर माह में एक बार पड़ती है लेकिन शनिश्चरी अमावस्या का अपना महत्व होता है। जो कि शनिवार के दिन पड़ने वाली अमावस्या को कहा जाता है। ज्योतिष अनुसार पूर्वजों की आत्मा की तृप्ति के लिए अमावस्या का दिन खास माना जाता है इस दिन लोग पितरों को प्रसन्न करने के लिए उनका श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान जैसे रस्मों को पूरा करते हैं इसके अलावा अमावस्या तिथि पर कालसर्प दोष निवारण हेतु पूजा पाठ व उपायों को भी करना उपयुक्त माना गया है।
सभी अमावस्याओं में सोमवार और शनिवार के दिन पड़ने वाली अमावस्या बेहद महत्वपूर्ण मानी जाती है। अभी अक्टूबर माह चल रहा है और इस माह पड़ने वाली अमावस्या शनिवार को पड़ेगी जिसे शनिश्चरी अमावस्या के नाम से जाना जा रहा है इस साल की आखिरी शनिश्चरी अमावस्या 14 अक्टूबर को पड़ रही है तो आज हम आपको अपने इस लेख द्वारा बता रहे हैं कि शनि अमावस्या पर क्या करें। जिससे उत्तम फलों की प्राप्ति हो और कष्टों में कमी आए।
शनिश्चरी अमावस्या पर करें ये काम—
देवी देवताओं का आशीर्वाद पाने के लिए शनि अमावस्या के दिन सुबह जल्दी उठकर पवित्र नदी में सूर्योदय से पहले स्नान करें इसके बाद तांबे के लोटे में पवित्र जल लेकर अक्षत और पुष्प डालकर भगवान सूर्यदेव को जल अर्पित करें। फिर शुभ मुहूर्त में पितरों के निमित्त तर्पण और श्राद्ध कर्म करें। इस दिन पीपल की पूजा उत्तम मानी गई हैं ऐसे में अमावस्या पर पीपल के पेड़ की पूजा कर घी का दीपक जलाएं। फिर पितरों का ध्यान कर पीपल के पेड़ में जल में काले तिल, चीनी, चावल और पुष्प डालकर ऊं पितृभ्य: नम: मंत्र का जाप करें।
माना जाता है कि ऐसा करने से पितृशांति और शनि दोष से मुक्ति मिल जाती है। शनिश्चरी अमावस्या पर शनि महाराज को सरसों तेल और काले तिल जरूर अर्पित करें इसके बाद ऊँ शं शनैश्चराय नमः इस मंत्र का 108 बार जाप करें। ऐसा करने से शनि साढ़ेसाती और ढैय्या से मुक्ति मिलती है आप चाहें तो इस दिन शनि चालीसा का भी पाठ कर सकते हैं ऐसा करने से उन्नति व सुख समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है।
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