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सनातन धर्म में कई ऐसे पेड़ पौधे हैं जिन्हें बेहद शुभ माना गया हैं लेकिन तुलसी का पौधा इन सभी में विशेष स्थान रखता हैं। इस धर्म को मानने वाले अधिकतर घरों में यह पौधा लगा होता हैं और लोग रोजाना नियम से इसकी पूजा करते हैं सुबह जल अर्पित करते हैं तो वही संध्याकाल में घी का दीपक जलाते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार तुलसी में माता लक्ष्मी का वास होता हैं इसे लगाने व पूजा पाठ करने से माता लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती हैं इसके अलावा श्री विष्णु को भी यह पौधा बेहद प्रिय माना गया हैं।
बिना तुलसी पत्र के प्रभु भोग भी स्वीकार नहीं करते हैं ऐसे में अगर आपके रोजाना तुलसी पूजा कर रहे हैं और इसका पुण्य फल पाना चाहते हैं तो ऐसे में तुलसी को जल देने के नियम जरूर जान लें माना जाता हैं कि अगर विधि विधान से तुलसी को जल व पूजन किया जाए तो लक्ष्मी और विष्णु की कृपा से घर में धन धान्य के भंडार भरे रहते हैं तो आज हम आपको तुलसी जी को जल अर्पित करने के नियम बता रहे हैं।
तुलसी को जल अर्पित करने के नियम—
शास्त्रों में पूजा पाठ को लेकर कई नियम बताए गए हैं जिनका ध्यान रखना जरूरी होता हैं ऐसे में तुलसी के पौधे को जल देने का तरीका सही होना चाहिए वरना इसका पूर्ण फल नहीं मिलता हैं। तुलसी के पौधे को जल अर्पित करने से पहले इस बात का ध्यान रखें कि जल चढ़ाने से पहले अन्न ग्रहण ना करें हमेशा जल देने के बाद ही कुछ खाएं। तुलसी को जल अर्पित करने का सही समय सूर्योदय से लेकर उसके दो तीन घंटे बाद तक का ही होता हैं इस दौरान जल अर्पित करने से उत्तम फल मिलता हैं इसके अलावा तुलसी में जल हमेशा ही संतुलित मात्रा में चढ़ाना चाहिए। ना तो बहुत अधिक हो ना ही बहुत कम होना चाहिए।
शास्त्र अनुसार तुलसी में भूलकर भी रविवार और एकादशी के दिन जल अर्पित नहीं करना चाहिए इस दिन तुलसी को छुना भी वर्जित माना जाता हैं साथ ही इससे पत्तों को भी ना तोड़ें। इसके अलावा तुलसी के पत्तों को बेवजह तोड़ने से व्यक्ति पाप का भागी होता हैं। तुलसी को कभी भी अपवित्र होकर नहीं छुना चाहिए बल्कि स्नान करने के बाद ही इसे छुए।
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Apurva Srivastav
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