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देशभर में चैत्र नवरात्रि का पर्व बड़ी ही धूमधाम से मनाया जा रहा है.
देशभर में चैत्र नवरात्रि का पर्व बड़ी ही धूमधाम से मनाया जा रहा है. इस क्रम में जल्द ही नवरात्रि की दो महत्वपूर्ण तिथियां दुर्गा अष्टमी और महानवमी आने वाली हैं. 29 मार्च को दुर्गा अष्टमी और 30 मार्च को महानवमी है. दुर्गा अष्टमी के दिन मां महागौरी और महानवमी के दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है. आपको बता दें कि इन दो दिनों में कन्या पूजा भी की जाती है. हालांकि आप चाहें तो नवरात्रि के प्रथम दिन से नवमी तक प्रत्येक दिन भी कन्या पूजन कर सकते हैं. कन्या पूजन (Kanya Puja Vidhi) करने से मां दुर्गा का आशीर्वाद मिलता है. कन्याओं को मां दुर्गा का स्वरूप माना जाता है, इसलिए नवरात्रि में कन्या पूजा का विशेष महत्व माना गया है. आज हम आपको कन्या पूजन से जुड़ी कुछ अहम बातें बताने वाले हैं.
कन्या पूजा से मिलने वाले 9 वरदान
नवरात्रि के दिनों में धूमधाम से कन्या पूजन (Kanya Puja Vidhi) किया जाता है. गौरतलब है कि कन्या पूजन में आप 1 से लेकर 9 कन्याओं का पूजन कर सकते हैं. इसमें भी अलग अलग उम्र की कन्याओं की पूजा करने से अलग-अलग मनोकामनाएं पूरी होती हैं. एक से लेकर 9 तक की संख्या की कन्याओं की पूजा से 9 वरदान मिलते हैं. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, 1 कन्या की पूजा से ऐश्वर्य, 2 कन्या पूजा से भोग, 3 कन्या पूजा से पुरुषार्थ, 4-5 कन्या पूजा से बुद्धि और विद्या, 6 कन्या पूजा से कार्य में सफलता, 7 कन्या पूजा से परमपद, 8 कन्या पूजा से अष्टलक्ष्मी और 9 कन्याओं की पूजा से ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है.
उम्र के अनुसार कन्या पूजन से प्राप्त होने वाले फल
आपको बता दें कि 2 वर्ष की कन्या पूजा (Kanya Puja Vidhi) से धन-ऐश्वर्य, 3 वर्ष की कन्या पूजा से धन-धान्य, 4 वर्ष की कन्या पूजा से परिवार का कल्याण, 5 वर्ष की कन्या पूजा से रोगों से मुक्ति, 6 वर्ष की कन्या पूजा से राजयोग, विद्या और विजय, 7 वर्ष की कन्या पूजा से ऐश्वर्य, 8 वर्ष की कन्या पूजा से कोर्ट कचहरी के मामलों में सफलता, 9 वर्ष की कन्या पूजा से शत्रुओं पर सफलता और 10 वर्ष की कन्या पूजा से सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है.
कन्या पूजा की विधि
दुर्गा अष्टमी या महानवमी के दिन जब भी आप कन्या पूजन करना चाहते हैं, उस दिन –
सुबह सबसे पहले उठकर स्नान के बाद मां दुर्गा की पूजा कर लें.
फिर कन्याओं को पूजन के लिए घर पर आमंत्रित करें.
कन्याओं के साथ एक छोटे बालक को बटुक भैरव के रूप में पूजते हैं, इसलिए उन्हें भी आमंत्रित करें.
स्वच्छ जल से कन्याओं के चरण पखारें और उनको एक आसन पर बैठाएं. फिर अक्षत्, फूल, चंदन आदि से उनकी पूजा करें. फूलों की माला और चुनरी अर्पित करें.
इसके बाद उन्हें हलवा, काला चना, पूड़ी, खीर, नारियल आदि मिठाई का भोग लगाएं. उनसे भोजन करने का निवेदन करें.
भोजन के बाद उनको उपहार और दक्षिणा दें. फिर पैर छूकर उनसे आशीर्वाद लें, ताकि नवरात्रि का व्रत पूर्ण हो और आपकी मनोकामनाएं सिद्ध हों.
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Apurva Srivastav
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