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सिद्ध कुंजिका स्तोत्र के लाभ
कुंजिका स्त्रोत का पाठ करना एक पूरी दुर्गा सप्तशती के पाठ करने के बराबर माना जाता है। क्योंकि स्वयं भगवान शिव द्वारा माता पार्वती को रुद्रयामल के गौरी तंत्र के अंतर्गत बताया गया है। इस स्त्रोत के जो मूल मंत्र हैं, वे सभी नवाक्षरी मंत्र अर्थात ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे के साथ ही आरंभ होते हैं।
यह अपने आप में इतना कल्याणकारी और शक्तिशाली स्रोत है कि यदि आप इसका पाठ कर लेते हैं तो इसके उपरांत आप को किसी अन्य जप या पूजा करने की भी आवश्यकता नहीं होती, क्योंकि कुंजिका स्त्रोत के पाठ करने से आपके सभी जाप सिद्ध हो जाते हैं और आपकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं।
यदि आपके शत्रु बढ़ गए हैं या कोई शत्रु आपको अत्यंत ही भयभीत हैं परेशान कर रहा है तो उसे मुक्ति पाने के लिए आप सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पाठ कर सकते हैं। देवी की कृपा से आपके शत्रुओं का नाश होगा और आपको समस्याओं से मुक्ति प्राप्त होगी।
इसके साथ ही आपको देवी भगवती की कृपा प्राप्त होती है और दुर्गा जी के आशीर्वाद से आपके जीवन में आने वाली सभी समस्याओं से आपको मुक्ति मिल जाती है। कुंजिका स्रोत में अनेक बीजों अर्थात बीज मंत्रों का समावेश है, जो अत्यंत ही शक्तिशाली हैं।
इस दिव्य स्तोत्र की सहायता से आप अपने जीवन से संबंधित सभी प्रकार की समस्याओं जैसे कि आपका स्वास्थ्य, आपका धन, आपके जीवन में समृद्धि और आपके जीवन साथी के साथ अच्छे संबंधों के लिए भी यह स्तोत्र अत्यंत कारगर है। इसके साथ ही साथ यह गृह क्लेश की स्थितियों को भी दूर करता है।
यह एक ऐसी अत्यंत शक्तिशाली और प्रभावशाली प्रार्थना (prayer) है जो सहज रूप से फल देने में सक्षम है और देवी के रूप दुर्गा की असीम कृपा प्रदान करने के लिए जो मंत्र होते हैं उन्हें सक्रिय करने के लिए ही इसका उपयोग विशेष रूप से फलदायी होता है।
सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पाठ करने से सभी प्रकार की विघ्न बाधाओं का नाश होता है तथा सिद्ध कुंजिका स्तोत्र और देवी सूक्त के पाठ के साथ ही यदि आप सप्तशती का पाठ करते हैं, तो आपको परम सिद्धि की प्राप्ति हो सकती है।
जब भी आप स्वयं को अत्यंत ही संकटों से घिरा हुआ पाएं या काफी लंबे समय से लटका हुआ आपका कोई काम नहीं बन रहा हो तो, आपको मां भगवती की कृपा प्राप्त करनी चाहिए और इसके लिए दुर्गा जी को समर्पित यह कुंजिका स्तोत्र सर्वोत्तम है।
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Apurva Srivastav
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