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हमें क्रोध नहीं करना चाहिए और जीवन साथी पर पूरा भरोसा करें कोई कितना भी परेशान करें

जनता से रिश्ता वेबडेसक। एक संत के पास एक लड़का आया और बोला, 'आप मुझे बताइए कि मेरे लिए शादी करना ज्यादा अच्छा है या मुझे संन्यास ले लेना चाहिए, ताकि मुझे जीवन में सुख-शांति मिल सके।
संत ने उस लड़के से कहा, 'ये दोनों ही बहुत अच्छे हैं, लेकिन इन दोनों में से तुम जो भी चयन करो, सोच-समझकर करना और तुम्हारे लिए वह सर्वश्रेष्ठ होना चाहिए।'
लड़के ने फिर पूछा, 'मेरे लिए क्या सर्वश्रेष्ठ है, ये मुझे कैसे मालूम होगा?'
संत ने कहा, 'जल्दी तुम्हें ये समझ आ जाएगा, कुछ समय यहां रुको।'
अगले दिन दोपहर में संत के पास वह युवक बैठा था। तभी संत ने अपनी पत्नी को आवाज लगाई और जलता हुआ दीपक लाने के लिए कहा। संत की पत्नी तुरंत ही एक दीपक जलाकर लेकर आई और संत के पास रखकर चली गई। ये देखकर युवक हैरान था।
इसके बाद संत उस युवक लेकर एक पहाड़ी के पास पहुंचे। उस पहाड़ी के ऊपर एक बूढ़े साधु रहते थे। संत ने उस बूढ़े साधु को आवाज दी और नीचे बुलाया। बूढ़ा साधु धीरे-धीरे पहाड़ी से उतरकर नीचे आया तो संत ने कहा, 'बाबा आपकी उम्र कितनी है?'
साधु ने कहा, 'मेरी उम्र अस्सी वर्ष है।'
संत ने साधु से से कहा कि मुझे बस यही पूछना था। साधु वापस अपनी कुटिया में पहुंच गया। नीचे से एक बार फिर उस संत ने बूढ़े साधु को आवाद दी और नीचे बुलाया। वह बूढ़ा साधु फिर से धीरे-धीरे नीचे उतरकर आ गया। इस बार संत ने उस बाबा से पूछा, 'आप यहां कब से रह रहे हैं?'
साधु बाबा ने कहा, 'मैं यहां करीब 40 वर्षों से रह रहा हूं।'
ये जवाब देकर वह साधु फिर से अपनी झोपड़ी में पहुंच गया। नीचे खड़े संत ने एक बार फिर से उस बूढ़े साधु को आवाज लगाई और नीचे आने के लिए कहा। वह बूढ़ा साधु फिर से नीचे आ गया। संत ने उससे पूछा, 'बाबा आपके दांत हैं या गिर गए।'
बूढ़े साधु ने कहा, 'कुछ हैं और कुछ गिर गए।'
इस बार थकान की वजह से बूढ़े साधु की सांस तेज चलने लगी थी, लेकिन वह गुस्सा नहीं हुआ। वह साधु धीरे-धीरे फिर से अपनी कुटिया में पहुंच गया।
संत उस लड़के को लेकर अपने घर आ गया। लड़के ने फिर से संत से पूछा, 'आपने बताया नहीं, मैं शादी करूं या संन्यास ले लूं?'
संत ने कहा, 'आज मैंने तुम्हें दो उदाहरण बताए हैं। पहला जब मैंने दोपहर में मेरी पत्नी से दीपक मंगाया था। मेरी पत्नी ने कोई तर्क-वितर्क नहीं किया और दीपक लाकर रख दिया। उसने ये नहीं पूछा कि मैं दोपहर में दीपक का क्या करूंगा। उसे भरोसा था कि मुझे कुछ काम होगा तो वह चुपचाप दीपक ले आई। शादी करो तो वैवाहिक जीवन पति-पत्नी को एक-दूसरे पर ऐसा ही भरोसा करना चाहिए।
इसके बाद मैंने तुम्हें दूसरा उदाहरण दिया। उस बूढ़े साधु को हमने तीन बार नीचे बुलाया। उन्हें आने-जाने में दिक्कत हो रही थी, लेकिन फिर भी हर बार वे नीचे आए और शांति से हमारी बात का जवाब दिया। उन्होंने गुस्सा नहीं किया। अगर तुम संत बनना चाहते हो तो तुम्हें ऐसा व्यवहार अपनाना पड़ेगा। चाहे कोई भी कितना भी परेशान करे, हमें शांत रहना है, क्रोध नहीं करना है। संन्यासी का जीवन ऐसा होना चाहिए