धर्म-अध्यात्म

Shani Dev : शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए उपाए

Kavita2
21 Jun 2024 6:34 AM GMT
Shani Dev : शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए उपाए
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Shani Dev : शनिवार का दिन शनिदेव को अति प्रिय है। इस दिन शनिदेव की पूजा Worship of Shanidev on this day की जाती है। साथ ही उनके निमित्त व्रत रखा जाता है। सनातन शास्त्रों में निहित है कि शनिदेव के शरण में रहने वाले साधकों को अपने जीवन काल में तो सब सुखों की प्राप्ति होती है। मृत्यु के पश्चात मोक्ष की प्राप्ति होती है। अतः शनिदेव को मोक्ष प्रदाता भी कहा जाता है। शनिदेव को मोक्ष प्रदाता का वरदान भगवान शिव से प्राप्त हुआ है। ज्योतिष भी कुंडली
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में अशुभ ग्रहों के प्रभाव को कम करने के लिए भगवान शिव एवं शनिदेव की पूजा करने की सलाह देते हैं। अगर आप भी शनिदेव Shani Dev को प्रसन्न कर उनकी कृपा के भागी बनना चाहते हैं, तो शनिवार के दिन पूजा के समय ये उपाय जरूर करें।
करें ये उपाय
शनिवार के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठें। दैनिक कार्यों से निवृत्त होने के बाद गंगाजल युक्त पानी से स्नान करें। इसके पश्चात, गंगाजल में काले तिल मिलाकर भगवान शिव का अभिषेक करें। इस उपाय को करने से शनिदेव प्रसन्न होते हैं। साथ ही उनकी कृपा साधक पर बरसती है।
शनिदेव की कृपा पाने के लिए शनिवार के दिन स्नान-ध्यान के बाद गंगाजल में काले तिल मिलाकर पीपल के वृक्ष में अर्घ्य दें। इस समय पीपल वृक्ष की तीन बार परिक्रमा करें। साथ ही कम से कम पांच बार उठक-बैठक करें।
शनिदेव को तिल Mole for Shani Dev और सरसों के तेल से अभिषेक किया जाता है। अतः शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए तिल के तेल या सरसों के तेल से अभिषेक करें। इस उपाय को करने से शनि दोष का प्रभाव कम हो जाता है।
शनिदेव न्याय के देवता कहे जाते हैं। अच्छे कर्म करने वाले को शुभ फल देते हैं। वहीं, बुरे कर्म करने वाले लोगों को दंड देते हैं। इसके लिए शनिवार के दिन अपनी आर्थिक स्थिति के अनुसार चमड़े के चप्पल, जूते, काले तिल, उड़द की दाल, छाता, टोपी आदि चीजों का दान करें।
मोक्ष प्रदाता शनिदेव Shanidev, the provider of salvation का आशीर्वाद पाने के लिए शनिवार के दिन स्नान-ध्यान करने के बाद शनि यंत्र की पूजा करें। साथ ही इन मंत्रों का जप करें।
ऊँ प्रां प्रीं प्रौं सः शनये नमः
ऊँ शन्नो देवीरभिष्टडआपो भवन्तुपीतये।
ऊँ शं शनैश्चाराय नमः
ऊँ भगभवाय विद्महैं मृत्युरुपाय धीमहि तन्नो शनिः प्रचोदयात्
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