धर्म-अध्यात्म

Vivah Panchami Vrat Katha 2024: विवाह पंचमी के दिन पढ़ें श्री राम और माता सीता के विवाह की कथा, दांपत्य जीवन में बढ़ेगी खुशियां

Bharti Sahu 2
6 Dec 2024 1:44 AM GMT
Vivah Panchami Vrat Katha 2024: विवाह पंचमी के दिन पढ़ें श्री राम और माता सीता के विवाह की कथा, दांपत्य जीवन में बढ़ेगी खुशियां
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Vivah Panchami Vrat Katha 2024: धार्मिक मान्यात के अनुसार, इस दिन भगवान राम और माता सीता का विवाह हुआ था. इस दिन को भगवान राम और माता सीता के विवाह की वर्षगाठ के रूप में मनाया जाता है. मान्यता है कि इस दिन विधि-विधान से श्रीराम विवाह करने और विवाह पंचमी की कथा पढ़ने और सुनने से घर में खुशियों का आगमन होता है. साथ ही वैवाहिक जीवन में भी खुशियां आती हैं|
विवाह पंचमी की तिथि (Vivah Panchami 2024 Date)
वैदिक पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि की शुरुआत 5 दिसंबर, 2024 12 बजकर 49 मिनट पर होगी. वहीं तिथि का समापन 6 दिसंबर 12 बजकर 7 मिनट पर होगा. उदया तिथि के अनुसार, विवाह पंचमी का त्योहार 6 दिसंबर 2024 को मनाई जाएगी|
विवाह पंचमी की कथा (Vivah Panchami Ki Katha)
पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान विष्णु ने अवतार लेकर राजा दशरथ के घर श्री राम के रूप में जन्म लिया था. दूसरी ओर, मिथिला के राजा जनक हल चलाते समय धरती से उत्पन्न एक कन्या मिलती हैं, जिन्हें वे अपनी पुत्री मानकर सीता नाम देते हैं. सीता जब बड़ी हो जाती है तब राजा जनक अपनी पुत्री के लिए उपयुक्त वर की तलाश हुते स्वयंवर का आयोजन करते है, जिसमें एक शर्त रखी जाती है कि जो भी भगवान शिव का अदम्य धनुष तोड़ेगा, वह सीता से विवाह कर पाएगा. इस अद्भुत धनुष को तोड़ना असंभव माना जाता था|
स्वयंवर में अनेक राजकुमार आते हैं, लेकिन कोई भी धनुष को उठाने में सफल नहीं होता. तभी श्रीराम, जो अपने गुरु वशिष्ठ के आदेश पर स्वयंवर में आए थे, धनुष के पास जाते हैं. शांतचित्त होकर वे धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ाते हैं और जैसे ही वे खींचते हैं, धनुष दो टुकड़ों में बंट जाता है. इस अद्भुत घटना से सभी चकित रह जाते हैं. फिर सीता श्रीराम के निकट आईं. सखियों के बीच में जानकी आईं, तब एक सखी ने सीता से जयमाला पहनाने को कहा. उस समय उनके हाथ ऐसे सुशोभित हो रहे थे, मानो डंडियों सहित दो कमल चंद्रमा को देखते हुए जयमाला दे रहे हों. तब सीताजी ने श्रीराम के गले में जयमाला पहना दी|
यह दृश्य देखकर देवता फूल बरसाने लगे. नगर और आकश में ढ़ोल बाजे बजने लगे. जिसके बाद श्रीराम और सीता का विवाह धूमधाम से संपन्न होता है. जिसके बाद से ही हर साल मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को माता सीता और प्रभु श्रीराम का विवाह की वर्षगाठ के रूप में मनाया जाता है|
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