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धर्म-अध्यात्म
दिल्ली के इन ऐतिहासिक गुरूद्वारे के करे दर्शन, मन को सुकून मिलेंगी यहां की शांति से
Manish Sahu
16 July 2023 8:58 AM GMT
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धर्म अध्यात्म: देश की राजधानी दिल्ली में कई फेमस और ऐतिहासिक गुरुद्वारे हैं। यहां पर जाने से आपको अद्भुद शांति का एहसास होगा। इन गुरुद्वारों की खूबसूरती आपको मन को मोह लेगी। बता दें कि यहां पर बैशाखी में कई आयोजन भी किए जाते हैं। दिल्ली में बड़े धूमधाम के साथ बैशाखी का पर्व मनाया जाता है। बता दें कि यह सिख धर्म का पर्व होता है। इस मौके पर भारी संख्या में लोग गुरुद्वारे जाते हैं। वहीं सभी गुरुद्वारे में पाठ व कीर्तन किया जाता है। ऐसे में अगर आप भी गुरुद्वारा जाने की इच्छा रखते हैं। तो आपको दिल्ली के इन गुरुद्वारों में जरूर जाना चाहिए। दिल्ली में कई फेमस और ऐतिहासिक गुरुद्वारे हैं। जहां पर जाने के बाद आपको शांति महसूस होगी। यहां की शांति और खूबसूरती आपको मंत्रमुग्ध कर देगी। आइए जानते हैं दिल्ली के फेमस गुरुद्वारे के बारे में...
गुरुद्वारा बंगला साहिब
दिल्ली के सबसे फेमस गुरुद्वारे में सबसे पहले नंबर पर बंगला साहिब का नाम आता है। मान्यता के अनुसार, जयपुर के महाराज जय सिंह का बंगला हुआ करता था। इसी बंगले में सिखों के आठवें गुरु हर किशन सिंह भी रहते थे। बता दें कि पूरे 24 घंटे गुरुद्वारा बंगला साहिब संचालित होता है और साल के सभी दिन यहां पर लंगर चलता रहता है।
गुरुद्वारा शीशगंज साहिब
पुरानी दिल्ली में शीशगंज साहिब गुरुद्वारा स्थित है। साल 1783 में पंजाब छावनी के सैन्य जनरल रहे बघेल सिंह ने शीशगंज साहिब गुरुद्वारा का निर्माण करवाय़ा था। जब सिखों के 9वें गुरु, गुरु तेग बहादुर ने इस्लाम धर्म कुबूल करने से इंकार कर दिया तो मुगल शासक औरंगजेब ने उनका कत्ल करने का आदेश दे दिया था। यह शीशगंज साहिब गुरद्वारा तेग बहादुर की शहादत की याद में बनवाया गया था।
गुरुद्वारा बाबा बंदा सिंह बहादुर
दिल्ली के कुतुब मीनार के पास महरौली में बाबा बंदा सिंह बहादुर गुरुद्वारा मौजूद है। साल 1719 में बाबा बंदा सिंह बहादुर और उनके बेटों सहित 40 अन्य सिखों को मुगलों ने बड़ी बेरहमी से मौत के घाट उतार दिया था। उनकी शहादत की याद में इन गुरुद्वारे का निर्माण करवाया गया था।
गुरुद्वारा माता सुंदरी
दिल्ली में गुरुद्वारा माता सुंदरी भी काफी फेमस था। इस गुरुद्वारे का नाम गुरु गोबिंद सिंह की पत्नी के नाम पर रखा गया था। जब गुरु गोबिंद सिंह का निधन हुआ तो करीब 40 सालों तक उनकी पत्नी माता सुंदरी ने सिखों का नेतृत्व किया था। इसी वजह से सिख धर्म को मानने वाले उन्हें गुरु के दर्जे पर रखते थे। जिसके कारण उनकी याद में गुरुद्वारा बनाया गया था।
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