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पुराणों के अनुसार भगावन दत्तात्रेय वह देवता हैं जो ब्रह्मा, विष्णु और शंकर तीनों का मिलाजुला स्वरूप हैं. इनकी उपासना से त्रिदेव का आशीर्वाद प्राप्त होता है. ये गुरु और ईश्वर दोनों का स्वरूप माने गए हैं जिस कारण इन्हें श्री गुरुदेवदत्त और परब्रह्ममूर्ति सद्घुरु भी कहा जाता है. मान्यता है कि इनकी पूजा से साधक समस्त सिद्धियां प्राप्त करने का वरदान पाता है. दत्तात्रेय जयंती पर पूजा के वक्त इनकी कथा का श्रवण करने से हर मनोकामना पूर्ण होती हैं. आइए जानते हैं दत्तात्रेय जयंती की कथा.
पौराणिक कथा के अनुसार एक बार नारद जी ने महर्षि अत्रि मुनि की पत्नी अनुसूया के पतिव्रत धर्म की सराहना माता सती, देवी लक्ष्मी और मां सरस्वती के सामने की. देवियों ने नारदजी के वचन सुनकर अपने पति ब्रह्मा, विष्णु, शंकर से अनुसुइया के पतिव्रत धर्म की परिक्षा लेने को कहा. तीनों देव साधू के भेष में अनुसूया की परीक्षा लेने आश्रम पहुंचे.