धर्म-अध्यात्म

विनायक चतुर्थी 2022 मुहूर्त, जानें पूजा विधि और महत्व

Tulsi Rao
30 July 2022 11:55 AM GMT
विनायक चतुर्थी 2022 मुहूर्त, जानें पूजा विधि और महत्व
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जनता से रिश्ता वेबडेस्क। Vinayak Chaturthi In Ravi Yog: हर माह के दोनों पक्षों की चतुर्थी भगवान गणेश को समर्पित है. कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी के नाम से जाना जाता है. वहीं, शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी कहा जाता है. सावन में विनायक चतुर्थी 1 अगस्त, सोमवार की पड़ रही है. इस बार भगवान शिव और गणेश जी की पूजा-अर्चना साथ ही की जाएगी. इस दिन व्रत रखकर आप भोलेनाथ के साथ गणेश जी का भी आशीर्वाद पा सकेंगे.

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सावन का महीना शिव परिवार की पूजा के लिए बहुत लाभकारी माना गया है. ऐसे में विनायक चतुर्थी पर गणेश जी का आशीर्वाद पाने का विशेष अवसर है. विनायक चतुर्थी के दिन रवि योग का निर्माण हो रहा है. मान्यता है कि इस दिन चंद्र दर्शन नहीं किए जाते हैं. आइए जानते हैं इसकी कथा के बारे में.
विनायक चतुर्थी 2022 मुहूर्त
सावन माह की विनायक चतुर्थी तिथि 01 अगस्त सोमवार प्रात: 04 बजकर 18 मिनट से शुरू होकर 02 अगस्त मंगलवार, प्रात: 05 बजकर 13 मिनट पर समापन होगा. इस दिन रवि योग का 01 अगस्त, प्रात: 05 बजकर 42 मिनट से शुरू होगा और शाम 04 बजकर 06 मिनट पर रहेगा.
बता दें कि इस दिन गणेश पूजन का शुभ समय सुबह 11 बजकर 06 मिनट से दोपहर 01 बजकर 48 मिनट के बीच है. इस दौरान पूजा करने से गणपति की विशेष कृपा प्राप्त होती है.
इसलिए महत्वपूर्ण हैं रवि योग
ज्योतिष शास्त्र में रवि योग का विशेष महत्व बताया गया है. कहते हैं कि किसी व्रत या त्योहार पर रवि योग का होना बेहद खास होता है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार रवि योग में सूर्य का प्रभाव ज्यादा होता है. इसलिए रवि योग में किए गए कार्य शुभ फल प्रदान करते हैं. कहते हैं कि ये योग अमंगल दूर करता है. ऐसे में रवि योग में भगवान गणेश की पूजा से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होंगी और कार्यों में सफलता पा सकेंगे.
इस दिन भूल से भी न करें चंद्र दर्शन
शास्त्रों में निहित है कि विनायक चतुर्थी के दिन चंद्र दर्शन वर्जित होते हैं. द्वापर युग में भगवान श्री कृष्ण से जुड़ी हुई एक घटना है. एक बार श्री कृष्ण ने विनायक चतुर्थी पर चंद्रमा को देख लिया था, जिसके बाद उन पर स्यामंतक मणि चोरी करने का झूठा आरोप लगा था.
अपने इस झूठ को गलत साबित करने के लिए श्री कृष्ण को जामवंत से कई दिनों तक युद्ध करना पड़ा था. इसके बाद श्री कृष्ण उस झूठ से मुक्त हो गए थे और जामवंत ने अफनी पुत्री जामवंती का विवाह श्री कृष्ण से कर दिया था. तब से ही विनायक चतुर्थी के दिन चंद्र दर्शन करने की मनाही है.


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