धर्म-अध्यात्म

Vinayak Chaturthi 2021 : विनायक चतुर्थी... जानिए शुभ मुहूर्त, महत्व और पूजा विधि

Bhumika Sahu
12 Aug 2021 1:56 AM GMT
Vinayak Chaturthi 2021 : विनायक चतुर्थी... जानिए शुभ मुहूर्त, महत्व और पूजा विधि
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आज विनायक चतुर्थी है. इस दिन भगवान गणेश की पूजा होती है. विनायक चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की पूजा करने से घर में सुख- समृद्धि आती है. कहते हैं विघ्नहर्ता आपके दुखों को दूर कर देते हैं.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। सावन का पावन महीना चल रहा है. शिवभक्तों के लिए ये महीना कामनापूर्ति करने वाला होता है. कई लोग सावन में सोमवार का व्रत करते हैं. हिंदू धर्म के अनुसार, इस महीने में पड़ने वाले त्योहारों का महत्व बढ़ जाता है. आज विनायक चतुर्थी है. ये दिन भगवान गणेश को समर्पित होता है. इस दिन विधि- विधान से पूजा करने से आपकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं.

ये दिन भगवान गणेश के भक्तों के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है. मान्यता है कि भगवान गणेश की पूजा करने से सुख- समृद्धि का वास होता है. कहते हैं विघ्नहर्ता की विधि- विधान से पूजा सभी कष्ट दूर हो जाते हैं. आइए जानते हैं पूजा का शुभ मुहूर्त, महत्व और पूजा विधि.
विनायक शुभ मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार सावन के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को 11 अगस्त 2021 को शाम 04 बजकर 53 मिनट पर शुरू होगा और शाम के समय में 12 अगस्त 2021 को शाम में 03 बजकर 24 मिनट तक रहेगा. उदय तिथि होने के कारण विनायक चतुर्थी का व्रत 12 अगस्त को मनाया जाएगा.
विनायक चतुर्थी पूजा विधि
इस दिन सुबह- सुबह उठकर स्नान करें. इसके बाद विधि- विधान से पूजा करने का संकल्प लेते हुए मंदिर में दीपक जलाएं. अब भगवान गणेश को स्नान कराएं और साफ कपड़े पहनाएं. गणेशजी को सिंदूर का तिलक लगाएं और दूर्वा अर्पित करें. इसके बाग भगवान गणेश को लड्डू और मोदक का भोग लगाएं. इसके बाद चालीसा या पाठ करें और आरती उतारें.
विनायक चतुर्थी की कथा
गणेश जी को बल, बुद्धि और ज्ञान का देवता माना जाता है. लेकिन क्या आप जानते हैं इनकी जन्म की कथा. पौरणिक कथा के अनुसार, माता पार्वती एक मिट्टी का बालक बनाकर उसमें जान फूंकती हैं. माता पार्वती बच्चे को आदेश देती हैं कि वो स्नान करने जा रही हैं और इस दौरान किसी को भी अंदर प्रेवश नहीं करने देना है. बच्चा अपनी माता के आदेश का पालन करने लगा और कंदरा के द्वार पर पहरा देना लगा. इसके कुछ देर बाद भगवान शिव पहुंचते हैं. बालक महादेव को अंदर जाने से मना कर देता है. इससे भोलेनाथ क्रोधत हो जाते हैं और त्रिशूल से बच्चे का सिर धर से अलग कर देते हैं.
इसके कुछ देर बाद माता पार्वती स्नान करके आती हैं और देखती हैं कि उनके बालक का सिर धर से अलग हो गया है. ये सब देखकर माता पार्वती बहुत क्रोधित होती हैं. माता पार्वती का क्रोध देख सभी देवी- देवता भयभीत हो जाते हैं. इसके बाद भगवान शिव अपने गणों को आदेश देते हैं कि जिसकी माता की पीठ उसके बालक की ओर हो उसका धर लें आएं. शिव गण एक गज का धर लेकर आते हैं. भगवान शिव गज के शीश को बालक के धर से जोड़ देते हैं. ये देखकर माता पार्वती कहती हैं कि सब मेरे बालक का उपहास उड़ाएंगे. तब भगवान शिव वरदान देते हैं कि उन्हें गणपति के नाम से जाना जाएगा और सभी देवता ने उन्हें वरदान दिया किया कि सबसे प्रथम पूजा भगवान गणेश की होगी.


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