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Vijaya Ekadashi 2022 : इस दिन है विजया एकादशी व्रत, जानिए व्रत विधि और महत्व

Rani Sahu
22 Feb 2022 6:21 PM GMT
Vijaya Ekadashi 2022 : इस दिन है विजया एकादशी व्रत, जानिए व्रत विधि और महत्व
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शास्त्रों में एकादशी के व्रत (Ekadashi Vrat) को बहुत श्रेष्ठ और मोक्ष दिलाने वाला बताया गया है

शास्त्रों में एकादशी के व्रत (Ekadashi Vrat) को बहुत श्रेष्ठ और मोक्ष दिलाने वाला बताया गया है. हर माह में दो एकादशी के व्रत होते हैं. सभी एकादशी श्री हरि को समर्पित हैं और सभी के नाम अलग अलग होते हैं. फाल्गुन माह (Phalguna Month) की कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को विजया एकादशी (Vijaya Ekadashi) के नाम से जाना जाता है. कहा जाता है कि विजया एकादशी का व्रत रखने से व्यक्ति के पूर्व जन्म के पापों का अंत होता है, साथ ही ये एकादशी शत्रुओं पर विजय दिलाने वाली और हर क्षेत्र में सफलता दिलाने वाली मानी जाती है. इस बार एकादशी तिथि दो दिन पड़ रही है, इस कारण भक्तों में व्रत की तिथि को लेकर संशय की स्थिति है. यहां जानिए विजया एकादशी व्रत की स​ही तिथि, व्रत विधि और महत्व के बारे में.

जानें किस दिन रखा जाएगा विजया एकादशी का व्रत
एकादशी तिथि की शुरुआत 26 फरवरी 2022, शनिवार के दिन सुबह 10:39 मिनट से होगी और तिथि का समापन 27 फरवरी, रविवार सुबह 08:12 मिनट पर होगा. उदया तिथि के हिसाब से विजया एकादशी का व्रत 27 फरवरी को रखा जाएगा. एकादशी तिथि समाप्त होने के बावजूद भी तिथि का प्रभाव पूरे दिन रहेगा, इसलिए आप ये व्रत 27 फरवरी को ही रखें. व्रत पारण के लिए शुभ समय 28 फरवरी सोमवार को सुबह 06:48 से 09:06 बजे तक है.
विजया एकादशी पर दो शुभ योग
इस बार विजया एकादशी पर दो शुभ योग सर्वार्थ सिद्धि योग और त्रिपुष्कर योग भी बन रहे हैं. सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह 27 फरवरी को सुबह 08:49 बजे से लग रहा है, जो अगले दिन सुबह 06:48 बजे तक रहेगा. वहीं त्रिपुष्कर योग 27 फरवरी की सुबह 08:49 बजे से प्रारंभ हो रहा है. ये 28 फरवरी को सुबह 05:42 बजे तक मान्य होगा. मान्यता है कि सर्वार्थ सिद्धि योग में किया गया कोई भी काम सफल जरूर होता है.
ऐसे रखें एकादशी का व्रत
एकादशी का व्रत काफी कठिन माना जाता है क्योंकि इसके नियम दशमी की शाम को सूर्यास्त के बाद से लागू हो जाते हैं और द्वादशी की सुबह व्रत पारण तक मान्य होते हैं. अगर आप ये व्रत रखना चाहते हैं, 26 फरवरी की शाम को सूर्यास्त के बाद सात्विक भोजन करें. इसके बाद से द्वादशी के दिन तक ब्रह्मचर्य का पालन करें. एकादशी के दिन सु​बह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान आदि से निवृत्त होकर भगवान के सामने व्रत का संकल्प लें. दिन भर व्रत रखें, भगवान नारायण को पीला चंदन, रोली, अक्षत, पुष्प, तुलसी, प्रसाद, वस्त्र, दक्षिणा आदि अर्पित करें. व्रत कथा पढ़ें या सुनें और आरती करें. संभव हो तो व्रत निर्जल रखें, अगर न रह सकें तो फलाहार और जल ले सकते हैं. एकादशी की रात में जागरण करके भगवान के भजन और ध्यान करें. द्वादशी के दिन किसी ब्राह्मण को भोजन कराकर उसे यथा सामर्थ्य दान दक्षिणा दें. इसके बाद अपने व्रत का पारण करें.
विजया एकादशी का महत्व
मान्यता है कि विजया एकादशी का व्रत व्यक्ति को मोक्ष की ओर अग्रसर करता है. यदि आपको शत्रुओं ने घेर रखा है, तो आपको नारायण की शरण में जाकर​ विधिवत विजया एकादशी का व्रत रखना चाहिए. इससे आपको शत्रुओं पर विजय की प्राप्ति होती है. भगवान श्रीकृष्ण ने स्वयं इस व्रत का महत्व युधिष्ठिर को बताया था, जिसके बाद पाण्डवों ने कौरवों पर विजय की प्राप्ति हुई थी
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