धर्म-अध्यात्म

वास्तुशास्त्र: घर में गौरैया चिड़िया का घोंसला बढ़ाता है सुख सौभाग्य

Kunti Dhruw
8 April 2021 3:49 PM GMT
वास्तुशास्त्र: घर में गौरैया चिड़िया का घोंसला बढ़ाता है सुख सौभाग्य
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चिड़िया का घर में घोंसला बनाना शुभ है.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क: चिड़िया का घर में घोंसला बनाना शुभ है. अक्सर गर्मियों में चिड़िया घरों में घोंसला बनाती हैं. इनका घोंसला बनाना आपके लिए शुभ और सौभाग्य का संकेत ले कर आते हैं. कभी भी अपने सौभाग्य को न उजाड़ें बल्कि उनका स्वागत करें. वास्तुशास्त्र के अनुसार गौरैया के घर में घोंसला बनाने से दस तरह के वास्तुदोष दूर होते हैं.

ज्ञातव्य है कि हिन्दू धर्म में देवी देवताओं के वाहन पक्षी हैं. जैसे भगवान कार्तिकेय का वाहन मोर, माता सरस्वती का वाहन हंस, विष्णु जी का गरुड़, शनिदेव का वाहन कौवा और माता लक्ष्मी का वाहन उल्लू होता है. ये सभी वाहन आपके पूजा स्थान में अपने देवों और दवियों के साथ पूजा ग्रहण करते हैं. आप उन्हें पूजते हैं और उनकी कृपा के लिए लगातार प्रार्थना करते हैं. जब उन देव देवियों के वाहन आपके निवास में निवास करने आ रहे हैं तो उनका स्वागत करिए वे आपको सौभाग्य की सूचना ले कर आ रहे हैं. घर में अक्सर गौरैया और कबूतर ही अपना घोंसला बनाते हैं. कबूतर माँ लक्ष्मी के भक्त माने जाते हैं. उनके निवास से घर में सुख शान्ति आती है। कबूतरों के निवास को उजाड़ना अशुभ माना जाता है. इसलिए उनके निवास को कभी उजाड़ना नहीं चाहिए. गौरैया का घोंसला बनाना तो अत्यंत शुभ माना जाता है. गौरैया से दस तरह के वास्तुदोष दूर होते हैं. गौरैया का घोंसला घर के पूर्वी भाग में बनता है तो मान-सम्मान में वृद्धि होती है.
आग्नेय कोण पर घोंसला बनाने से पुत्र का विवाह शीघ्र होता है. दक्षिण दिशा में ये घोंसला बनाए जाए तो धन की प्राप्ति होती है. दक्षिण-पश्चिम कोण का घोंसला बनाएं तो परिवार वालों को दीर्घ आयु देता है. पश्चिमी भाग में घोंसला बनाएं तो लक्ष्मी की कृपा बरसती है. उत्तर-पश्चिमी कोण पर गौरैया का घोंसला बनता है तो सुख देने वाला होता है. इसी तरह उत्तर दिशा और ईशान कोण का घोंसला बनता है तो सुख-सुविधाएं प्रदान करता है. यहां हम महत्वपूर्ण बात स्पष्ट कर दें कि ये घोंसले घर के खुले हुए हिस्से में होने चाहिए. पुराने घरों को देखें तो वहां पेड़, आंगन और बगीचे के साथ बड़ा हिस्सा खुला हुआ रहता है. चिड़ियों का यह घोंसला इन्हीं पेड़ पौंधों बगीचे और खुले हिस्से में होना चाहिए. छत और चारदीवारी वाले हिस्से में इन्हे शुभ नहीं माना जाता है.
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