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घर की रसोई बनवाते समय भी वास्तु के नियमों का ध्यान रखना जरूरी है वरना घर में वास्तु दोष लग सकता है. वास्तु दोष होने पर घर में नकारात्मकता आती है
जनता से रिश्ता वेबडेस्क | किचन को मकान का महत्वपूर्ण भाग माना जाता है. शास्त्रों में बताया गया है कि रसोई में मां अन्नपूर्णा का वास होता है, इसलिए किचन को बहुत पवित्र स्थान माना जाता है. घर की महिलाएं अपना सबसे ज्यादा समय किचन में ही बिताती हैं. इस कारण घर की रसोई को बनवाते समय वास्तु के नियमों का ध्यान रखना बहुत जरूरी है. वास्तु के नियम सूर्य की किरणों पर आधारित होते हैं. कहा जाता है कि यदि वास्तु के नियमों का ध्यान न रखा जाए तो घर में वास्तु दोष लग सकता है.
वास्तु दोष होने पर घर में नकारात्मकता आती है. इतना ही नहीं किचन में बनने वाले भोजन के जरिए ये नकारात्मकता घर के अन्य सदस्यों तक पहुंचती है और उनके स्वभाव पर असर डालती है. इससे घर के लोगों में चिड़चिड़ापन और गुस्सा पनपता है. ऐसे में परिवार में क्लेश और झगड़े बढ़ने लगते हैं और घर का माहौल खराब होता है. यहां जानिए वास्तु के अनुसार किस तरह घर का किचन तैयार करना चाहिए.
ऐसा होना चाहिए घर का किचन
1. ज्योतिषाचार्य डॉ. अरविंद मिश्र की मानें तो घर की रसोई हमेशा दक्षिण-पूर्व यानी अग्निकोण में होना सबसे ज्यादा शुभ है. इसके अलावा रसोई को पूर्व-मध्य या उत्तर-पश्चिम दिशा में भी बनवाया जा सकता है.
2. किचन का गेट हमेशा पूर्व, उत्तर-पूर्व या फिर उत्तर दिशा में होना चाहिए. इसे कभी भी दक्षिण या पश्चिम में न बनवाएं.
3. खाना बनाते समय अग्निकोण में चूल्हा इस तरह रखें कि भोजन बनाने वाले का मुंह पूर्व या उत्तर दिशा में रहे. इसके अलावा खाना बनाने वाले के मुंह पर किसी बाहरी व्यक्ति की सीधी नजर न पड़े. अगर ऐसा है, तो आप बीच में पर्दा लगा लें.
4. बिजली का कोई सामान जैसे माइक्रावेव, मिक्सी आदि दक्षिण पूर्व के कोने में रखें. बर्तन स्टैंड या कोई अन्य भारी वस्तु दक्षिण या पश्चिम में रखें. पूर्व और उत्तर दिशा में हल्का सामान रखना चाहिए.
5. पूर्व और उत्तर में प्रकाश की व्यवस्था करें. यहां रसोई की खिड़कियां बनवाएं और सीएफएल आदि लगाएं. खाने पीने का सामान उत्तर-पश्चिम दिशा में रखें.
6. किचन के कूड़ेदान को उत्तर-पश्चिम में रखें और गीले-सूखे कूड़े के लिए अलग-अलग डस्टबिन बनाएं. किचन को हमेशा साफ-सुथरा रखें.
7. स्लैब पर हरे या काले पत्थर की बजाय लाल पत्थर प्रयोग करें. स्लैब उत्तर-पूर्व की दीवार पर बनाएं और पेंट के लिए हल्के रंग का प्रयोग करें.
8. वॉशिंग मशीन या कोई अन्य पानी वाली वस्तु का मुंह रसोई की ओर न करें और न ही रसोई में मंदिर बनाएं. पानी को गैस के स्थान से दूर रखें. इनके साथ होने पर घर में क्लेश बढ़ता है.
ये बात भी रखें ध्यान
कहा जाता है जैसा अन्न, वैसा मन. ये इसलिए कहा गया है क्योंकि खाने के जरिए बनाने वाले की सकारात्मक और नकारात्मक ऊर्जा खाने वालों तक पहुंचती है. अगर भोजन को शुद्ध मन से बनाया जाएगा तो परिवार के लोगों का स्वभाव भी अच्छा होगा और नकारात्मक विचारों के साथ बनाया जाएगा, तो घर के लोगों में भी गुस्सा पनपेगा. इसलिए अपना भोजन खुद बनाना चाहिए. किसी नौकर से न बनवाएं.
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