धर्म-अध्यात्म

वाल्मीकि जयंती, जानिए इस दिन का धार्मिक महत्व और महर्षि का नाम कैसे पड़ा

Shiddhant Shriwas
20 Oct 2021 2:22 AM GMT
वाल्मीकि जयंती, जानिए इस दिन का धार्मिक महत्व और महर्षि का नाम कैसे पड़ा
x
सनातन धर्म के महत्वपूर्ण धर्मग्रंथ रामायण के रचयिता महर्षि वाल्मीकि जयंती हर साल आश्विन मास की पूर्णिमा को मनाई जाती है।

सनातन धर्म के महत्वपूर्ण धर्मग्रंथ रामायण के रचयिता महर्षि वाल्मीकि जयंती हर साल आश्विन मास की पूर्णिमा को मनाई जाती है। इस साल वाल्मीकि जयंती 20 अक्टूबर को पड़ रही है। हर साल वाल्मीकि जयंती पर देश के अलग-अलग हिस्सों में सामाजिक व धार्मिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं और कुछ जगहों पर महर्षि वाल्मीकि की झांकी भी निकाली जाती है।

वाल्मीकि का जन्म-
अभी तक महर्षि वाल्मीकि के जन्म के बारे में कोई स्पष्ट प्रमाण नहीं है। लेकिन कहा जाता है कि इनका जन्म महर्षि कश्यप और अदिति के नौवें पुत्र वरुण और उनकी पत्नी चर्षिणी के यहां हुआ था। कहते हैं कि महर्षि वाल्मीकि ने प्रथम श्लोक की रचना की थी।
क्यों पड़ा नाम वाल्मीकि-
कहते हैं कि एक बार महर्षि वाल्मीकि ध्यान में मग्न थे। तब उनके शरीर में दीमक चढ़ गई थीं। साधना पूरी होने पर महर्षि वाल्मीकि ने दीमकों को हटाया था। दीमकों के घर को वाल्मीकि कहा जाता है। ऐसे में इन्हें भी वाल्मीकि पुकारा गया। वाल्मीकि को रत्नाकर के नाम से भी जानते हैं।
वाल्मीकि आश्रम में रही थीं माता सीता-
पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब श्रीराम ने माता सीता का त्याग किया था। इस दौराव वह कई वर्षों तक वाल्मीकि आश्रम में रही थीं। कहते हैं कि यही पर माता सीता ने लव और कुश को जन्म दिया था। यही कारण है कि माता सीता को वन देवी भी कहते हैं।


Next Story