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Vaishakh Amavasya आज है वैशाख अमावस्या जानें तिथि, स्नान मुहूर्त और महत्व

Admin4
11 May 2021 10:07 AM GMT
Vaishakh Amavasya आज है वैशाख अमावस्या जानें   तिथि, स्नान मुहूर्त और महत्व
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हिन्दू पंचांग के अनुसार इस वर्ष वैशाख मास की अमवास्या आज 11 मई दिन मंगलवार को है। इस वर्ष वैशाख अमावस्या के दिन तीन विशेष योग बन रहे हैं इसलिए इसकर महत्व ज्यादा है। मंगलवार दिन होने के कारण इसे भौमवती अमावस्या भी कहा जाता है।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। हिन्दू पंचांग के अनुसार, इस वर्ष वैशाख मास की अमवास्या आज 11 मई दिन मंगलवार को है। इस वर्ष वैशाख अमावस्या के दिन तीन विशेष योग बन रहे हैं, इसलिए इसकर महत्व ज्यादा है। मंगलवार दिन होने के कारण इसे भौमवती अमावस्या भी कहा जाता है। सोमवार के दिन पड़ने पर इसे सोमवती अमावस्या ​कहा जाता है। हिन्दू धर्म में अमवास्या का विशेष महत्व होता है। इस दिन नदी में स्नान करने, पितरों की तृप्ति के लिए श्राद्ध कर्म करने और दान देने का विधान है। जागरण अध्यात्म में जानते हैं वैशाख अमावस्या तिथि, स्नान मुहूर्त और शुभ योग के बारे में।

वैशाख अमावस्या तिथि २०२१
हिन्दी पंचांग के अनुसार, वैशाख मास की अमावस्या तिथि का प्रारंभ 10 मई दिन सोमवार को रात 09 बजकर 55 मिनट पर हो रहा है, जो 11 मई दिन मंगलवार को रात 12 बजकर 29 मिनट तक रहेगी। ऐसे में वैशाख अमावस्या 11 मई को है।
वैशाख अमावस्या पर तीन विशेष योग
इस वर्ष वैशाख अमावस्या के दिन दो विशेष योग बन रहे हैं। इस दिन सौभाग्य योग और शोभन योग बन रहा है। 11 मई को सौभाग्य योग रात 10 बजकर 43 मिनट तक रहेगा। उसके पश्चात शोभन योग लग जाएगा। इसके अलावा सर्वार्थ सिद्धि योग भी बन रहा है। 11 मई को रात 11 बजकर 31 मिनट से अगले दिन 12 मई को प्रात: 05 बजकर 32 मिनट तक सर्वार्थ सिद्धि योग रहेगा। ये तीनों ही योग महत्वपूर्ण होते हैं। सौभाग्य योग भाग्य में वृद्धि का कारक होता है, शोभन योग शुभता प्रदान करता हैं।
वैशाख अमावस्या स्नान
अमावस्या की उदया तिथि 11 मई को प्राप्त हो रही है, ऐसे में वैशाख अमावस्या का स्नान 11 मई को प्रात: होगा। इस वर्ष कोरोना महामारी का प्रकोप है, ऐसे में आप घर पर ही स्नान कर लें। उसके बाद जप, दान और पितरों की मुक्ति के लिए श्राद्ध कर्म कर सकते हैं।
वैशाख अमावस्या का महत्व
वैशाख अमावस्या का दिन पितरों के मोक्ष के लिए उत्तम माना जाता है। इस दिन स्नान आदि से निवृत होने के बाद पितरों को पिंडदान करते हैं। ऐसा करने से पितरों की आत्माएं तृप्त होती हैं, उनको मोक्ष मिलता है और वे अपने वंश को वृद्धि का आशीष भी देते हैं।


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