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इस दिन मनाई जाएगी वैकुण्ठ चतुर्दशी, जानिए इसकी समय एवं महत्व
जनता से रिश्ता वेबडेस्क| विभिन्न पर्वों की भांति वैकुण्ठ चतुर्दशी वर्षभर में पडने वाला हिन्दू समाज का महत्वपूर्ण पर्व है. सामान्यतः दीपावली तिथि से 14 वे दिन बाद आने वाले साल का यह पर्व धार्मिक महत्व का है. इस अवसर पर विभिन्न शिवालयों में पूजा अर्चना साधना का विशेष महत्व है. गढवाल के प्रसिद्ध शिवालयों श्रीनगर में कमलेश्वर तथा थलीसैण में बिन्सर शिवालय में इस पर्व पर अधिकाधिक संख्या में श्रृद्धालु दर्शन हेतु आते हैं तथा इस पर्व को आराधना व मनोकामना पूर्ति का मुख्य पर्व मानते हैं. श्रीनगर स्थित कमलेश्वर मन्दिर पौराणिक मन्दिरों में से है. इसकी अतिशय धार्मिक महत्ता है, किवदंती है कि यह स्थान देवताओं की नगरी भी रही है. इस शिवालय में भगवान विष्णु ने तपस्या कर सुदर्शन-चक्र प्राप्त किया तो श्री राम ने रावण वध के उपरान्त ब्रह्म हत्या के पाप से मुक्ति हेतु कामना अर्पण कर शिव जी को प्रसन्न किया व पापमुक्त हुए
वैकुण्ठ चतुर्दशी समय
वैकुण्ठ चतुर्दशी शनिवार, नवम्बर 28, 2020 को
वैकुण्ठ चतुर्दशी निशिताकाल – 23:42 – 00:37, नवंबर 29
अवधि – 00 घंटे 54 मिनट
देव दीपावली रविवार, नवम्बर 29, 2020 को
चतुर्दशी तिथि प्रारम्भ – नवम्बर 28, 2020 को 1021 बजे
चतुर्दशी तिथि समाप्त – नवम्बर 29, 2020 को 12:47 बजे
वैकुण्ठ चतुर्दशी का महत्त्व
वैकुण्ठ चतुर्दशी का शास्त्रों में विशेष महत्व बताया गया है. इस दिन भगवान शिव और विष्णु की पूजा की जाती है. इस दिन भगवान शिव और विष्णु भगवान की पूजा करने से जातक के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं. पुराणों में कहा गया है कि इसी दिन भगवान शिव ने विष्णु भगवान को सुदर्शन चक्र दिया था. इस दिन जिस व्यक्ति का देहावसान होता है उसे सीधे स्वर्गलोक की प्राप्ति होती है.
पौराणिक कथाओं के अनुसार एकबार लोगों के मुक्ति का मार्ग पूछने के लिए नारद जी भगवान विष्णु के पास पहुंचे. नारदजी के पूंछने पर विष्णु भगवान कहते हैं कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को जो प्राणी श्रद्धा और भक्ति से मेरी और भगवान शिव की पूजा करते हैं. उनके लिए वैकुण्ठ के द्वार खुल जाते हैं.