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धर्म-अध्यात्म
Vaibhav Lakshmi Vrat: जानें आर्थिक संकट और हर तरह की परेशानियां दूर करने के लिए कैसे करें यह व्रत
Kajal Dubey
11 March 2022 7:49 AM GMT
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वैभव लक्ष्मी का व्रत कोई भी व्यक्ति रख सकता है और इससे पा सकता है अनेकों लाभ
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। अक्सर जीवन में कई बार ऐसी परिस्थितियां आती हैं, जिससे आप चारों-तरफ से उदासी, चिंता से घिर जाते हैं. आपके अंदर सकारात्मक ऊर्जा की जगह नकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होने लगता है. कई बार नौकरी चले जाने या कर्ज बढ़ जाने से माली हालत भी बेहद खराब हो जाती है. आप निराशा से घिर जाते हैं. यदि आपके साथ भी ऐसा ही कुछ हो रहा है, तो आप वैभव लक्ष्मी व्रत (Maa Vaibhav Lakshmi Vrat) करना शुरू कर दें. यह व्रत प्रत्येक शुक्रवार के दिन किया जाता है. ऐसी धारणा है कि जो व्यक्ति मां वैभव लक्ष्मी की पूजा-अर्चना, व्रत करते हैं, उनके सारे दुख-दर्द और कष्टों का जल्द ही निवारण हो जाता है. इससे आर्थिक संकट और हर तरह की परेशानियां दूर हो सकती हैं.
हिंदू धर्म के अनुसार, मां लक्ष्मी (Goddess Lakshmi) के कुल 8 स्वरूप हैं, जिसमें से एक है वैभव लक्ष्मी स्वरूप. वैभव लक्ष्मी का व्रत कोई भी व्यक्ति रख सकता है और इससे पा सकता है अनेकों लाभ. शुक्रवार के दिन यदि आप वैभव लक्ष्मी जी की पूजा सच्ची भावना, लगन और श्रद्धा से करते हैं, तो आपके सारे दुख, नकारात्मक ऊर्जा, आर्थिक तंगी दूर हो जाएगी. आपके घर-परिवार में सुख-शांति, समृद्धि का वास होगा.
कैसे करें वैभव लक्ष्मी की पूजा-अर्चना
हिंदू पुराणों के मुताबिक, वैभव लक्ष्मी का व्रत हर कोई कर सकता है. शुक्रवार को सुबह जल्दी उठ जाएं. उसके बाद स्नानादि करके खुद को साफ-स्वच्छ कर लें. आप पूजा के समय सफेद या फिर लाल रंग का कपड़ा भी पहन सकते हैं. जिस स्थान पर आपको पूजा-अर्चना करनी है, वहां मां वैभव लक्ष्मी के लिए चौकी लगाएं. उस पर लाल चुनरी या वस्त्र बिछाएं और तस्वीर या मूर्ति स्थापित करें. आप वहां बैठ जाएं. उसके बाद मन ही मन विधि का संकल्प लें. पूजा के दौरान आप लाल या सफेद रंगों के फूल, मिठाई मां लक्ष्मी पर चढ़ाएं. ऐसी मान्यता है कि मां लक्ष्मी को सफेद रंग बहुत प्रिय हैं.
उन्हें सफेद चंदन का तिलक भी लगाएं. लाल या सफेद रंग का चंदन लगाना शुभ होता है. फिर आप फल, धूप, दीप, अक्षत आदि चढ़ाएं. चावल से बनी खीर या मिठाई का भी भोग लगा सकते हैं. अंत में आरती करने के बाद मां वैभव लक्ष्मी का कथा पाठ करें और फिर अंत में मां को झुककर प्रणाम करें. उनसे सुख समृद्धि की कामना करें.
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