- Home
- /
- अन्य खबरें
- /
- धर्म-अध्यात्म
- /
- षटतिला एकादशी पर तिल...
माघ महीने के कृष्ण पक्ष की एकादशी को षटतिला एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस बार 28 जनवरी, शुक्रवार को षटतिला एकादशी का व्रत रखा जाएगा। माघ का महीना स्नान, दान और तप करने के लिए विशेष माह माना गया है। ऐसे में इस माह के कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली षटतिला एकादशी का महत्व और भी बढ़ जाता है। षटतिला एकादशी पर भगवान विष्णु की आराधना करने और व्रत-पूजा एवं तिल दान करने से मनुष्य को सभी सुखों की प्राप्ति होती है। शास्त्रों में बताया गया है कि माघ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी समस्त पापों का नाश करती है। जितना पुण्य कन्यादान, हजारों वर्षों की तपस्या और स्वर्ण दान से मिलता है, उससे अधिक फल प्राणी को षटतिला एकादशी का व्रत करने से मिलता है। सनातन धर्म में एकादशी व्रत करने के कुछ नियम बताए गए हैं जिसका पालन करने पर पुण्य की प्राप्ति होती है। शातातप स्मृति ग्रंथ के अनुसार, इस दिन तिल का प्रयोग 6 कामों में करने का विधान है। तिल ये सृष्टि का पहला अन्न भी है। ग्रंथों में भी बताया गया है कि तिल की उत्पत्ति ब्रह्मा ने की है। इसलिए तिल के इस्तेमाल से शारीरिक परेशानियां भी दूर होने लगती है। आइए जानते हैं तिल से जुड़े हुए उन 6 कार्य और उनके महत्व के बारे में-
षटतिला एकादशी के दिन तिल मिले हुए जल से स्नान करने का विधान है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार तिल के जल से स्नान करने से पाप से मुक्ति मिलती है। इसके साथ ही ठंड के मौसम में तिले मिले पानी से स्नान करने से त्वचा चमकदार और कोमल हो जाती है
षटतिला एकादशी के दिन तिल का उबटन लगाने का भी नियम है। मान्यता है कि तिल का उबटन लगाने के बाद स्नानं करने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं और साथ ही यदि आपको त्वचा संबंधी कोई दिक्कत है तो वो भी इससे दूर होती है।
षटतिला एकादशी के दिन तिल मिश्रित जल पीने से अच्छी बुद्धि प्राप्त होती है और साथ ही धर्म कर्म संबंधी कार्यों की ओर रुझान भी बढ़ता है ।