धर्म-अध्यात्म

अनोखा मंद‍िर : यहां द‍िन में तीन बार बदलता है देवी लक्ष्‍मी की मूर्ति का रंग, तंत्र साधना के ल‍िए है प्रस‍िद्ध

Deepa Sahu
20 May 2021 8:52 AM GMT
अनोखा मंद‍िर : यहां द‍िन में तीन बार बदलता है देवी लक्ष्‍मी की मूर्ति का रंग, तंत्र साधना के ल‍िए है प्रस‍िद्ध
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देवी लक्ष्‍मी का यह कैसा अनोखा मंद‍िर है

हमारे देश में चमत्‍कारी मंद‍िरों की लंबी ल‍िस्‍ट है। कहीं तंत्र साधना होती है तो कहीं मूर्तियों के रंग बदलते हैं। कहीं द‍िन व‍िशेष पर मां की मूर्ति का आकार बदल जाता है तो कहीं त‍िथ‍ि व‍िशेष पर मंद‍िर की प्रत‍िमा गर्भगृह से बाहर आ जाती है। ऐसे ही एक मंद‍िर के बारे में हम आपको यहां बता रहे हैं। यह मंद‍िर व‍िष्‍णुप्र‍िया मां लक्ष्‍मी का है। तो आइए जानते हैं कहां है यह अनोखा मंद‍िर जहां स्‍थाप‍ित देवी लक्ष्‍मी की मूर्ति का रंग बदलता है? साथ ही इस मंद‍िर से जुड़े अन्‍य रहस्‍य…

जबलपुर में है देवी लक्ष्‍मी का यह मंद‍िर
हम ज‍िस मंद‍िर की बात कर रहे हैं देवी लक्ष्‍मी का वह मंद‍िर जबलपुर में स्थित है। इसे पचमठा के नाम से जाना जाता है। मंद‍िर का निर्माण 1100 साल पहले गोंडवाना शासन की रानी दुर्गावती के खास सेवादार रहे दीवान अधार सिंह के नाम से बने अधारताल तालाब में करवाया गया था। इस मंदिर में मां लक्ष्मी के साथ अन्‍य देवी-देवताओं की भी मूर्ति स्‍थाप‍ित है।
तंत्र साधना के लि‍ए भी प्रसिद्ध है यह मंद‍िर

पचमठा मंदिर तंत्र साधना के लिए भी प्रसिद्ध है। मान्‍यता है कि मंद‍िर परिसर के चारों तरफ श्रीयंत्र की विशेष रचना है। आपको जानकार हैरानी होगी लेक‍िन इस मंद‍िर में स्‍थापित मां लक्ष्मी की प्रतिमा दिन में तीन बार रंग बदलती है। सुबह प्रत‍िमा का रंग सफेद, दोपहर को पीला और शाम को नीला हो जाता है।
मां के चरणों पर पड़ती है सूरज की पहली क‍िरण
मंद‍िर में प्रत‍िमा का रंग बदलना ही हैरान नहीं करता है। बल्कि यहां पड़ने वाली सूरज की पहली क‍िरण देवी लक्ष्‍मी के चरणों पर पड़ती है। दर्शन करने वाले श्रद्धालुओं की मानें तो यूं लगता है जैसे सूर्य देवता भी मां लक्ष्‍मी को प्रणाम करने आते हैं। मान्‍यता है क‍ि मां के इस मंदिर में आने वाले भक्‍त कभी खाली हाथ नहीं जाते।
शुक्रवार को लेकर ऐसी है मान्‍यता
शुक्रवार का दिन देवी लक्ष्मी को समर्पित है। यही वजह है क‍ि सामान्‍य द‍िनों में यहां शुक्रवार के द‍िन अच्‍छी-खासी भीड़ रहती है। मान्यता है क‍ि अगर कोई श्रद्धालु यहां न‍ियम‍ित रूप से 7 शुक्रवार को आए और मां के चरणों में अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति की प्रार्थना करे। तो उसकी मनोकामना जरूर पूरी होती है। यही नहीं देवी लक्ष्‍मी की कृपा से उस श्रद्धालु को कभी भी धन-धान्‍य की कमी नहीं होती।


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