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धर्म-अध्यात्म
महाभारत युद्ध के समय की अनसुनी कहानी, जानें इसके बारे में सब कुछ
Ritisha Jaiswal
30 April 2021 9:45 AM GMT
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महाभारत का युद्ध कुरुक्षेत्र में 18 दिनों तक कौरवों और पांडवों के बीच चला- ये बात तो हम सभी जानते हैं.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क | महाभारत का युद्ध कुरुक्षेत्र में 18 दिनों तक कौरवों और पांडवों के बीच चला- ये बात तो हम सभी जानते हैं. महाभारत की कहानी हम सभी बचपन से भी जानते हैं और कई बार टीवी पर भी इसे धारावाहिक के रूप में देख चुके होते हैं. बावजूद इसके महाभारत से जुड़ी कुछ ऐसी छोटी-छोटी घटनाएं और कहानियां भी हैं जो रोचक होने के साथ ही अनुसनी भी हैं और जिनके बारे में कम ही लोग जानते हैं. आज बात ऐसी ही एक कहानी कि जिसमें भीष्म पितामह के क्रोध से द्रौपदी ने पांडवों की जान बचायी थी
जब भीष्म ने ली पांडवों के वध की प्रतिज्ञा
जब महाभारत का युद्ध शुरू हुआ तो मन से पांडवों की विजय चाहते हुए भी भीष्म पितामह को कौरवों की तरफ से युद्ध करना पड़ा था. भीष्म पितामह रोजाना पांडवों के हजारों सैनिकों का वध कर रहे थे, इसके बावजूद दुर्योधन को हमेशा यही लगता था कि भीष्म पितामह पक्षपात कर रहे हैं और अपनी पूरी ताकत के साथ युद्ध नहीं कर रहे. दुर्योधन ने आरोप लगाया कि जब तक भीष्म पितामह का प्रेम पांडवों के लिए बना रहेगा तब तक कौरव युद्ध नहीं जीत सकते. यह सुनकर भीष्म को क्रोध आ गया और उन्हें उसी क्षण हवा में पांच बाण उठाकर यह घोषणा कर दी कि अगले दिन वह इन्हीं पांच बाणों से पांडवों का वध करेंगे. यह सुनकर दुर्योधन खुश हो गया क्योंकि उसे पता था कि भीष्म पितामह अपने शब्द से कभी नहीं मुकरते
कृष्ण ने द्रौपदी से कहा कि पितामह से आशीर्वाद लेने का समय आ गया है
भीष्म की इस प्रतिज्ञा से पांडवों के खेमे की परेशानी बढ़ गई. द्रौपदी (Draupadi) ने कृष्ण से पूछा कि क्या इस समस्या को कोई समाधान नहीं है तब कृष्ण ने द्रौपदी से पूछा कि उसने आखिरी बार भीष्म पितामह से आशीर्वाद कब लिया था. तब द्रौपदी ने कहा कि उसने आज तक पितामह का आशीर्वाद नहीं लिया है. तब कृष्ण ने द्रौपदी से कहा कि यह शुभ कार्य आज ही किया जाएगा. तब कृष्ण के कहने पर द्रौपदी ने लंबा घूंघट किया और कृष्ण के साथ भीष्म के शिविर की तरफ चल पड़ी
इस तरह से द्रौपदी ने बचाया था पांडवों का जीवन
शिविर के पास पहुंचकर कृष्ण ने द्रौपदी से कहा कि पितामह से अपने पतियों के लिए आशीर्वाद ले लो लेकिन उन्हें अपना चेहरा मत दिखाना. भीष्म, ब्रह्म मुहूर्त में दरवाजे पर आए किसी याचक को खाली हाथ नहीं भेजते थे. इसी बात को ध्यान में रखते हुए द्रौपदी भी ब्रह्म मुहूर्त में ही भीष्म के शिविर के बाहर पहुंच गई. जब भीष्म बाहर आए तो उन्हें बाहर एक स्त्री दिखी जो रो रही थी. भीष्म ने उससे उसकी परेशानी पूछी तो उसने कहा कि उसके पति इस महाभारत के युद्ध में पांडवों की तरफ से लड़ रहे हैं और उसे चिंता है कि भीष्म पितामह उनका वध कर देंगे. तब भीष्म ने वचन दिया कि उसे रोने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि वे उसके पति की हत्या नहीं करेंगे. यह सुनते ही द्रौपदी ने पितामह के चरण छूकर उनका आशीर्वाद लिया. भीष्म ने भी उसे सौभाग्यवती होने का आशीर्वाद दिया. तब द्रौपदी ने अपना घूंघट हटाया. भीष्म, द्रौपदी को पहचान गए और सारी बात समझ गए
Tagsमहाभारत
Ritisha Jaiswal
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