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जनता से रिश्ता वेबडेस्क | तुलसी विवाह हिंदू धर्म का प्रमुख पर्व है, हर साल कार्तिक माह शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि के दिन तुलसी विवाह किया जाता है. इस साल यह एकादशी तिथि 25 नवंबर को शुरू होकर 26 तारीख को समाप्त होगी. तुलसी विवाह में माता तुलसी का विवाह भगवान शालिग्राम के साथ किया जाता है. मान्यता है कि जो व्यक्ति तुलसी विवाह का अनुष्ठान करता है उसे कन्यादान के बराबर पुण्य फल मिलता है.
तुलसी विवाह भारत के कई सारे हिस्सों में मनाया जाता है, शालिग्राम भगवान विष्णु का ही अवतार माने जाते हैं. पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार तुलसी ने गुस्से में भगवान विष्णु को श्राप से पत्थर बना दिया था. तुसली के इस श्राप से मुक्ति के लिए भगवान विष्णु ने शालिग्राम का अवतार लिया और तुलसी से विवाह किया. तुलसी मैया को मां लक्ष्मी का अवतार माना जाता है. कुछ स्थानों पर तुलसी विवाह द्वादशी के दिन भी किया जाता है. आइए जानते हैं तुलसी विवाह की तारीख, मुहूर्त और धार्मिक महत्व
विवाह की पूजन विधि
तुलसी के पौधे के चारो ओर मंडप बनाएं और तुलसी के पौधे पर लाल चुनरी चढ़ाएं. इसके बाद तुलसी के पौधे को श्रृंगार की चीजें अर्पित करें. भगवान गणेश और भगवान शालिग्राम की पूजा करें. भगवान शालिग्राम की मूर्ति का सिंहासन हाथ में लेकर तुलसीजी की सात परिक्रमा कराएं. आरती के बाद विवाह में गाए जाने वाले मंगलगीत के साथ विवाहोत्सव पूर्ण किया जाता है. Also Read - Tulsi Vivah 2018: तुलसी विवाह की प्रचलित और पौराणिक कथा देती है कई व्रतों का फल
2020 में तुलसी विवाह का शुभ मुहूर्त:
एकादशी तिथि प्रारंभ – 25 नवंबर, सुबह 2:42 बजे से
एकादशी तिथि समाप्त – 26 नवंबर, सुबह 5:10 बजे तक
द्वादशी तिथि प्रारंभ – 26 नवंबर, सुबह 05 बजकर 10 मिनट से
द्वादशी तिथि समाप्त – 27 नवंबर, सुबह 07 बजकर 46 मिनट तक