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धर्म-अध्यात्म
पुखराज काफी कीमती रत्न होता है, जानिए कैसे करें असली पुखराज की पहचान
Kajal Dubey
12 April 2022 11:52 AM GMT
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रत्नों का मनुष्य के जीवन पर निश्चित रूप से प्रभाव पड़ता है।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। रत्न शास्त्र में 84 उपरत्न और 9 रत्नों का वर्णन मिलता है, जिसमें से प्रमुखतया 5 ही रत्न माने गए हैं, जो हैं, माणिक्य, पुखराज, पन्ना, हीरा, मूंगा। आपको बता दें कि रत्नों का मनुष्य के जीवन पर निश्चित रूप से प्रभाव पड़ता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार रत्नों में अलौलिक शक्तियां होती हैं यदि रत्न सही समय में और ग्रहों की सही स्थिति को देखकर धारण किए जाएं तो उनका सकारात्मक प्रभाव प्राप्त होता है। साथ ही मनुष्य को आर्थिक समस्याओं से निजात मिलती है और सारे काम बनते चले जाते हैं। यहं हम बात करने जा रहे हैं पुखराज रत्न के बारे में, जो गुरु बृहस्पति का रत्न है।
आपको बता दें कि लोग जब रत्न खरीदने जाते हैं तो उनके मन में यह सवाल रहता है कि जो रत्न हम दुकान से खरीद रहे हैं यह असली है भी नहीं। यहां हम आपको पुखराज रत्न की पहचान बताएंगे, जिससे आप पुखराज खरीदते समय पता लगा सकते हैं कि जो पुखराज आपने खरीदा है वो असली है भी नहीं। आइए जानते हैं…
सीलोनी पुखराज होते हैं बेस्ट:
वैदिक ज्योतिष में पुखराज को गुरु का रत्न बताया गया है। पुखराज पीले और सफेद रंग में पाया जाता है। पुखराज को संस्कृत में पुष्पराज, गुरु रत्न, गुजराती में पीलूराज, कन्नड़ में पुष्पराग, हिन्दी में पुखराज और अंग्रेजी में यलोसफायर नाम से भी जाना जाता है। सबसे अच्छे पुखराज ब्राजील और श्रीलंका( सीलोनी) देश के माने जाते हैं।
ये राशि वाले धारण कर सकते हैं पुखराज:
ज्योतिष के अनुसार जिन लोगों की कुंडली में गुरु उच्च के या सकारात्मक विराजमान हों वो लोग पुखराज धारण कर सकते हैं।
साथ ही मीन और धनु राशि और लग्न वाले लोग पुखराज धारण कर सकते हैं। क्योंकि इन दोनों राशियों पर गुरु बृहस्पति का ही आथिपत्य होता है।
तुला लग्न वाले लोग पुखराज धारण कर सकते हैं, क्योंकि गुरु आपके पंचम भाव के स्वामी होते हैं। इसलिए आपको पुखराज धारण करना शुभफलदायी साबित हो सकता है।
मेष, कर्क, सिंह, वृश्चिक राशि के जातक भी इस रत्न को धारण कर सकते हैं।
अगर कुंडली में गुरु ग्रह नीच के विराजमान हों तो पुखराज धारण नहीं करना चाहिए। ऐसा करने से गुरु ग्रह का प्रकोप झेलना पड़ सकता है।
ऐसे करें पुखराज की पहचान:
-असली पुखराज की पहचान करने के लिए शीशे के गिलास में गाय का दूध डालें। अगर पुखराज असली है तो 1 से डेढ़ घंटे के अंदर पुखराज की किरणें दूध के ऊपर छिटकती हुई दिखने लगेंगी।
-दूसरा तरीका ये है कि पुखराज को हथेली पर रखें और इसे हल्का से हिलाकर देखें। अगर पुखराज असली है तो आपको हाथ में कुछ भारीपन सा महसूस होगा। सिर्फ भारी ही नहीं बल्कि पुखराज बाकी रत्नों के मुकाबले गर्म भी होता है। अगर पुखराज असली है तो हथेली पर रखने के कुछ देर बाद आपको हाथ में कुछ गर्मी महसूस होगी।
-असली पुखराज की पहचान करना का एक उपाय ये है कि इसे 1 सफेद कपड़े पर सूरज की किरणों के विपरीत रखें। अगर कुछ देर बाद रुमाल के पीछे गहरे पीले रंग की रौशनी दिखाई देती है तो इसका मतलब पुखराज असली है। अगर पुखराज नकली है तो ये रौशनी काफी हल्की दिखेगी या फिर बिल्कुल भी नहीं दिखाई देगी।
-असली पुखराज बहुत चिकना, चमकदार, पानीदार, पारदर्शी और अच्छे पीले रंग का होता है। असली पुखराज इतना हार्ड और कठोर होता है कि इसपर स्क्रैच तक नहीं पड़ते।
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