धर्म-अध्यात्म

कल है आषाढ़ का आखिरी प्रदोष व्रत

Apurva Srivastav
30 Jun 2023 1:57 PM GMT
कल है आषाढ़ का आखिरी प्रदोष व्रत
x
सनातन धर्म में शिव पूजा को समर्पित वैसे तो कई सारे व्रत त्योहार पड़ते हैं लेकिन प्रदोष व्रत का अपना महत्व होता हैं जो कि हर माह में दो बार पड़ता हैं। अभी आषाढ़ का महीना चल रहा हैं और इस माह पड़ने वाला प्रदोष व्रत आषाढ़ प्रदोष व्रत के नाम से जाना जा रहा हैं जो कि 1 जुलाई दिन शनिवार को पड़ रहा हैं शनिवार के दिन प्रदोष व्रत होने से इसे शनि प्रदोष व्रत भी कहा रहा हैं
इस दिन भगवान शिव शंकर की पूजा अर्चना करना उत्तम माना जाता हैं। भक्त प्रदोष व्रत के दिन उपवास रखते हुए भगवान शिव की पूजा प्रदोष काल में करते हैं कहा जाता हैं कि ऐसा करने से प्रभु प्रसन्न हो जाते हैं और अपनी कृपा साधक पर बरसाते हैं, तो आज हम आपको अपने इस लेख दवारा शनि प्रदोष व्रत की पूजन विधि के बारे में आपको जानकारी प्रदान कर रहे हैं तो आइए जानते हैं।
शनि प्रदोष व्रत की पूजा विधि-
आपको बता दें कि कल यानी शनि प्रदोष व्रत के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करें इसके बाद भगवान का ध्यान करते हुए व्रत पूजन का संकल्प करें और शिव की विधिवत पूजा करें। इसके बाद पूरे दिन का उपवास रखकर प्रदोष काल यानी शाम के वक्त शुभ मुहूर्त में स्नान आदि करें और पूजा के लिए तैया हो जाएं। अब गाय के दूध, दही, घी, शहद और गंगाजल से शिवलिंग का अभिषेक करें।
फिर शिवलिंग पर सफेद चंदन लगाकर बेलपत्र, मदार, पुष्प, भांग आदि चढ़ाएं। इसके बाद भगवान की विधिवत पूजा करें भगवान को उनका प्रिय भोग चढ़ाएं और आरती भी करें। फिर इसके बाद पूजा में होने वाली भूल चूक के लिए शिव से क्षमा मांगे और अपनी प्रार्थना प्रभु से कहें। माना जाता है कि इस तरह से शिव पूजा करने से साधक को उत्तम फलों की प्राप्ति होती हैं।
Next Story