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हिंदू पंचांग के अनुसार, कल यानी 19 मार्च को स्कंद षष्ठी का व्रत किया जाता है। यह तिथि हर महीने के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को आती है।
हिंदू पंचांग के अनुसार, कल यानी 19 मार्च को स्कंद षष्ठी का व्रत किया जाता है। यह तिथि हर महीने के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को आती है। यह फाल्गुन मास चल रहा है। ऐसे में फाल्गुन शुक्ल षष्ठी कल यानी 19 मार्च को मनाई जाएगी। इस दिन भगवान कार्तिकेय की पूजा की जाती है। भगवान कार्तिकेय, शिवजी और माता पार्वती के बड़े पुत्र हैं। भगवान कार्तिकेय को स्कंद भी कहा जाता है। इसी कारण से इस तिथि को स्कंद षष्ठी कहा जाता है। मान्यता है कि अगर इस दिन भगवान कार्तिकेय की पूजा पूरे विधि-विधान के साथ की जाए तो व्यक्ति के जीवन से सभी कठिनाइयां दूर हो जाती हैं। साथ ही जीवन में खुशहाली आती है। यह तिथि खासतौर से दक्षिण भारत के लोगों द्वारा मनाई जाती है। आइए पढ़ते हैं स्कंद षष्ठी की तिथि, शुभ मुहूर्त और महत्व।
स्कंद षष्ठी का शुभ मुहूर्त:
फाल्गुन माह, शुक्ल पक्ष, षष्ठी तिथि
षष्ठी तिथि प्रारम्भ- 19 मार्च, शुक्रवार सुबह 2 बजकर 9 मिनट पर
षष्ठी तिथि समाप्त- 20 मार्च, शनिवार सुबह 4 बजकर 48 मिनट पर
स्कंद षष्ठी का महत्व:
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन भगवान कार्तिकेय की पूजा की जाती है। पूरे विधि-विधान के साथ अगर पूजा की जाए तो व्यक्ति ग्रह बाधा से मुक्त हो जाता है। इसके साथ ही सुख और वैभव की प्राप्ति होती है। जीवन की सभी समस्याएं भी दूर हो जाती हैं। भगवान कार्तिकेय को दक्षिण भारत में सुब्रह्मण्यम कहा जाता है। इस दिन तमिलनाडू के मुरुगा के मंदिरों में भव्य उत्सव आयोजित किए जाते हैं।
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