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Shattila Ekadashi fast : कल है षटतिला एकादशी व्रत, एकादशी के दिन इन बातों का भी ध्यान रखें

माघ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को षटतिला एकादशी कहा जाता है। सनातन धर्म में इसका विशेष महत्व है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा अर्चना व काले तिल के पानी से स्नान दान आदि करने का विशेष महत्व है। पौराणिक कथाओं के अनुसार षटतिला एकादशी पर काले तिल, काली गाय के दान करने …
माघ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को षटतिला एकादशी कहा जाता है। सनातन धर्म में इसका विशेष महत्व है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा अर्चना व काले तिल के पानी से स्नान दान आदि करने का विशेष महत्व है। पौराणिक कथाओं के अनुसार षटतिला एकादशी पर काले तिल, काली गाय के दान करने से हजारों वर्षों की तपस्या का फल प्राप्त होता है। षटतिला एकादशी पर तिल के प्रयोग से जीवन में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं और ग्रहों की स्थिति अनुकूल रहती है। षटतिला एकादशी व्रत रखते से परिवार की दरिद्रता दूर होती है। षटतिला एकादशी के दिन विधिवत भगवान विष्णु की काले तिलों से पूजा करने से व्यक्ति हर तरह के पापों से मुक्ति पा लेता है। इसके साथ ही रोग दोष और भय से मुक्ति मिलती है।एकादशी के कुछ नियम भी होते हैं। आइए जानते हैं, एकादशी के दिन किन बातों का रखें ध्यान-
एकादशी के दिन इन बातों का भी ध्यान रखें
सात्वकि भोजन करें
एकादशी के पावन दिन सात्विक भोजन करना चाहिए। इस दिन मांस- मदिरा, लहसुन, प्याज का सेवन भी नहीं करना चाहिए।
ब्रह्मचर्य
एकादशी के दिन ब्रह्मचर्य का पालन भी करना चाहिए। इस दिन अधिक से अधिक भगवान विष्णु का ध्यान करने का प्रयास करें।
इस दिन चावल का सेवन वर्जित होता है। इस दिन चावल का परहेज करने से कई गुना फल की प्राप्ति होती है। आइए जानते हैं इस दिन चावल का सेवन क्यों नहीं करना चाहिए…
धार्मिक कारण-एक पौराणिक कथा के अनुसार मां के क्रोध से बचने के लिए महर्षि मेधा ने शरीर त्याग दिया और उनका अंश पृथ्वी में समा गया। जिस दिन महर्षि मेधा का अंश पृथ्वी में समाया उस दिन एकादशी तिथि थी। ऐसा माना जाता है कि महर्षि वेधा चावल और जौ के रूप में उत्पन्न हुए। इसलिए एकादशी के दिन चावल खाना वर्जित होता है।
वैज्ञानिक कारण- वैज्ञानिक तत्वों के अनुसार, चावल में जल तत्व की मात्रा काफी अधिक होती है। वहीं जल पर भी चंद्रमा का प्रभाव
अधिक पड़ता है। चावल का सेवन करने से शरीर में जल की मात्रा बढ़ जाती है। जिसकी वजह से मन विचलित और चंचल हो जाता है। मन के चंचल होने पर व्रत के नियमों का पालन नहीं हो पाता है, इसलिए एकादशी के दिन चावल खाना वर्जित होता है।
इन शुभ मुहूर्तों में करें पूजा-अर्चना :
ब्रह्म मुहूर्त- 05:22 ए एम से 06:13 ए एम
प्रातः सन्ध्या- 05:47 ए एम से 07:04 ए एम
अभिजित मुहूर्त- 12:18 पी एम से 01:03 पी एम
विजय मुहूर्त- 02:33 पी एम से 03:18 पी एम
गोधूलि मुहूर्त- 06:15 पी एम से 06:41 पी एम
सायाह्न सन्ध्या- 06:18 पी एम से 07:34 पी एम
अमृत काल- 12:21 ए एम, फरवरी 07 से 01:53 ए एम, फरवरी 07
निशिता मुहूर्त- 12:15 ए एम, फरवरी 07 से 01:06 ए एम, फरवरी 07
