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हिंदू पंचांग के अनुसार हर साल ज्येष्ठ महीने के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को रंभा तीज का व्रत रखा जाता है.
हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल ज्येष्ठ महीने के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को रंभा तीज (Rambha Teej) का व्रत रखा जाता है. इस बार 13 जून 2021 को ये व्रत रखा जाएगा. इस दिन को रंभा तृतीया भी कहते हैं. ये व्रत सुहागिन महिलाओं के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है. इस दिन सुहागिन महिलाएं भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा अर्चना करती हैं. इस व्रत को सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए रखती हैं. इस दिन माता लक्ष्मी की पूजा करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है. इस दिन को रंभा तीज के नाम से जाना जाता है. रंभा ने भी इस व्रत को रखा था. आइए जानते हैं इस दिन से जुड़ी महत्वपूर्ण बातों के बारे में.
रंभा तीज मुहूर्त
तृतीया तिथि का आरंभ- 12 जून शनिवार की रात में 08 बजकर 19 मिनट से
तृतीया तिथि समापन- 13 जून, रविवार की रात 09 बजकर 42 मिनट तक रहेगा
रंभा तीज पूजा विधि
सुबह उठने के बाद स्नान कर पूजा करने का संकल्प लें. आप पूजा के स्थान पर पूर्व दिशा में मुंह करके बैठें. इस बाद माता पार्वती और भगवान शिव की मूर्ति स्थापित करें. इस दिन व्रती को भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करने से पहले गणेश जी की पूजा- अर्चना करनी चाहिए. पूजा के समय 5 घी का दीपक जलाएं और फिर विधि विधान से पूजा करें. पूजा के दौरान भगवान शिव पर चंदन, गुलाल और फूल समेत अन्य चीजें चढ़ाएं. माता पार्वती पर चंदन, हल्दी, मेहंदी, अक्षत, लाल फूल समेत अन्य चीजें चढ़ाएं. इस दिन माता पार्वती को सोलह श्रृंगार की वस्तुएं चढ़ाना चाहिए.
रंभा तीज का महत्व
सुहागिन महिलाएं अपनी पति की लंबी उम्र के लिए ये व्रत रखती हैं. मान्यता है कि इस व्रत को करने से संतान सुख मिलता है. इस दिन माता लक्ष्मी की पूजा करने से दरिद्रता दूर होती है और घर में सुख-समृद्धि का वास होता है. इसके अलावा दान- पुण्य करना चाहिए. पौराणिक कथाओं के अनुसार, रंभा एक अप्सरा हैं, जिसकी उत्पति समुद्र मंथन से हुई थी. रंभा को सौंदर्य का प्रतीक माना जाता है.
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