धर्म-अध्यात्म

कल है गंगा सप्तमी, जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

Subhi
7 May 2022 2:34 AM GMT
कल है गंगा सप्तमी, जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
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हिंदू पंचांग के अनुसार, वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि के दिन गंगा सप्तमी मनाया जाता है। शास्त्रों के अनुसार माना जाता है इस दिन मां गंगा स्वर्ग लोक से भगवान शिव की जटाओं में पहुंची थी।

हिंदू पंचांग के अनुसार, वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि के दिन गंगा सप्तमी मनाया जाता है। शास्त्रों के अनुसार माना जाता है इस दिन मां गंगा स्वर्ग लोक से भगवान शिव की जटाओं में पहुंची थी। इसी कारण इसे गंगा सप्तमी और गंगा जयंती के रूप में मनाया जाता है। मान्यता है कि इस दिन गंगा स्नान करने से सभी प्रकार के कष्टों से छुटकारा मिलने के साथ पापों से मुक्ति मिलती है। इसके साथ ही विधि-विधान से मां गंगा की पूजा करने से सुख-समृद्धि, मान-सम्मान की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही गंगा पूजन करने से कुंडली में मौजूद ग्रहों की अशुभ स्थिति से छुटकारा मिलता है। ज्योतिषों के अनुसार, इस बार की गंगा सप्तमी काफी खास होगी क्योंकि इस बार काफी खास योग और नक्षत्र लग रहे हैं। जानिए गंगा सप्तमी की तिथि, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व।

गंगा सप्तमी का शुभ मुहूर्त

तिथि- 08 मई,रविवार

सप्तमी तिथि प्रारंभ- दोपहर 02 बजकर 56 मिनट से शुरू

सप्तमी तिथि समाप्त- 08 मई, रविवार को शाम 05 बजे तक

वैशाख शुक्ल पक्ष की सप्तमी की उदया तिथि 08 मई को है। इसलिए गंगा सप्तमी 8 मई को मनाई जाएगी।

गंगा सप्तमी का महत्व

मां गंगा स्वर्ग से पृथ्वी पर अवतरित होने से पूर्व भगवान शिव की जटाओं में उतरी थी। उस दिन वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि थी। इसी कारण इसे गंगा सप्तमी के रूप में जाना जाता है। मान्यता है कि जो व्यक्ति गंगा मां की एक डुबकी लगाता है तो उसे सभी तरह के पापों से मुक्ति मिल जाती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। मान्यता है कि गंगा सप्तमी के दिन दान-पुण्य करने का भी विशेष विधान है।

गंगा सप्तमी पूजा विधि

गंगा सप्तमी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर गंगा स्नान करना चाहिए। अगर आप किसी कारणवश गंगा स्नान के लिए नहीं जा पा रहे हैं तो घर में ही स्नान वाले पानी में थोड़ा सा गंगाजल डालकर नहा लें। इसके बाद मां गंगा की मूर्ति या फिर नदी में फूल, सिंदूर, अक्षत, गुलाल,लाल फूल, लाल चंदन अर्पित कर दें। इसके साथ ही भोग में गुड़ या फिर कोई मिठाई अर्पित कर दें। अंत में धूप-दीप जलाकर श्री गंगा सहस्त्रनाम स्तोत्र का पाठ करें। इसके साथ ही गंगा जी का मंत्र- ॐ नमो भगवति हिलि हिलि मिलि मिलि गंगे मां पावय पावय स्वाहा' का जाप करें।


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