धर्म-अध्यात्म

कल हैं पूर्णिमा, जानिए महत्व और पूजा विधि के बारे में....

Tara Tandi
13 Jun 2022 12:29 PM GMT
कल हैं पूर्णिमा, जानिए महत्व और पूजा विधि के बारे में....
x
हिंदू धर्म में पूर्णिमा का विशेष महत्व होता है। सभी पूर्णिमा में ज्येष्ठ माह की पूर्णिमा को खास माना गया है

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। हिंदू धर्म में पूर्णिमा का विशेष महत्व होता है। सभी पूर्णिमा में ज्येष्ठ माह की पूर्णिमा को खास माना गया है। इसमें दान और गंगा स्नान का अधिक महत्व माना गया है। इस दिन गंगा स्नान से पापो से मुक्ति मिल जाती है। भारत के कुछ जगहों पर ज्येष्ठ पूर्णिमा को वट पूर्णिमा के रूप में भी मनाया जाता है। इस साल ज्येष्ठ माह की पूर्णिमा तिथि 14 जून 2022, दिन मंगलवार को है। ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को ज्येष्ठ पूर्णिमा व्रत रखा जाता है। इस तिथि को जेठ पूर्णिमा या जेठ पूर्णमासी भी कहा जाता है। हिंदू धर्म में पूर्णिमा तिथि का विशेष महत्व माना जाता है। जीवन सुख और समृद्धि के लिए ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन व्रत और पूजा करते हैं। ये दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा-अर्चना के लिए समर्पित है। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने, व्रत एवं दान-पुण्य करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है। इस दिन चंद्रमा की पूजा करने से कुंडली में होने वाला चंद्र दोष दूर होता है। आइए जानते हैं ज्येष्ठ पूर्णिमा की तिथि, शुभ मुहूर्त, महत्व और पूजा विधि के बारे में।

ज्येष्ठ पूर्णिमा तिथि
पूर्णिमा तिथि प्रारंभ: 13 जून, सोमवार, रात्रि 09:02 मिनट से
पूर्णिमा तिथि समाप्त: 14 जून, मंगलवार, सायं 05: 21 मिनट तक
चंद्रोदय का समय
ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन चंद्रोदय 07 बजकर 29 मिनट पर होगा।
ज्येष्ठ पूर्णिमा का महत्व
हिन्दू धर्म में ज्येष्ठ माह में आने वाली पूर्णिमा का बहुत बड़ा महत्व माना जाता है। भविष्य पुराण के अनुसार इस दिन तीर्थ स्नान, दान और व्रत करने का विशेष महत्व बताया गया है। माना गया है कि ऐसा करने से व्यक्ति के सभी पापों का नाश होता है और उन्हें मुक्ति की प्राप्ति होती है। महिलाएं इस दिन भगवान शंकर और भगवान विष्णु की पूजा पति की लंबी उम्र के लिए करती हैं।
दान का महत्व
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन दान पुण्य करना बहुत लाभकारी होता है। अगर आप ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन ब्राह्मण को सफेद कपड़े, चीनी, चावल, दही, चांदी की वस्तु, मोती आदि का दान करते हैं तो आपकी कुंडली में चंद्रमा मजबूत होगा। इससे जीवन और घर में सकारात्मकता आएगी।
ज्येष्ठ पूर्णिमा की पूजा विधि
ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन सुबह उठकर नित्य कामों ने निवृत्त होकर स्नान करें।
इसके बाद भगवान की पूजन करें।
इन्द्र और महालक्ष्मी जी की पूजा करते हुए घी का दीपक जलाएं।
मां लक्ष्मी की पूजा में इत्र,पुष्प का इस्तेमाल जरूर करें।
ब्राह्माणों को खीर का भोजन करवाएं और साथ ही उन्हें दान दक्षिणा देकर विदा करें।
लक्ष्मी की प्राप्ति के लिए इस व्रत को विशेष रूप से महिलाएं रखती हैं।
इस दिन पूरी रात जागकर जो भगवान का ध्यान करते हैं उन्हें धन-संपत्ति प्राप्ति होती है।
रात्रि को चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद ही खाना खाए।
Next Story