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धर्म-अध्यात्म
कल है एकदंत संकष्टी चतुर्थी, जानें व्रत का महत्व
Ritisha Jaiswal
28 May 2021 8:04 AM GMT

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एकादशी की तरह ही हर माह में दो बार गणेश चतुर्थी आती है, एक शुक्ल पक्ष में और दूसरी कृष्ण पक्ष में. 27 मई से ज्येष्ठ के महीने की शुरुआत हो चुकी है.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क | एकादशी की तरह ही हर माह में दो बार गणेश चतुर्थी आती है, एक शुक्ल पक्ष में और दूसरी कृष्ण पक्ष में. 27 मई से ज्येष्ठ के महीने की शुरुआत हो चुकी है. ज्येष्ठ के महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को एकदंत संकष्टी चतुर्थी कहा जाता है. इस बार एकदंत संकष्टी चतुर्थी का व्रत 29 मई 2021 को शनिवार के दिन रखा जाएगा. जानिए इस व्रत से जुड़ी तमाम बातें.
चतुर्थी तिथि शुरू : 29 मई दिन शनिवार सुबह 06 बजकर 33 मिनट से
चतुर्थी तिथि समाप्त : 30 मई दिन रविवार को सुबह 04 बजकर 03 मिनट पर
चंद्रोदय का समय : 29 मई को रात 10 बजकर 30 मिनट पर
व्रत का महत्व
संकष्टी चतुर्थी व्रत के नाम से ही स्पष्ट है कि ये व्रत संकटों को हरने वाला है. मान्यता है कि गणपति शुभ फलदायक होते हैं, इसलिए उनका ये व्रत रखने से सभी कष्ट और परेशानियां दूर होते हैं और बिगड़े हुए काम भी बनने लगते हैं. इससे घर में धन-संपत्ति और खुशियां आती हैं. कुछ लोग संतान प्राप्ति की कामना के साथ इस दिन निर्जला व्रत रखते हैं.
एकदंत संकष्टी चतुर्थी पूजा विधि
चतुर्थी के दिन सुबह जल्दी उठकर लाल रंग के कपड़े पहनें. इसके बार भगवान गणपति की प्रतिमा को ऐसे स्थापित करें कि पूजा के दौरान आपका मुंह पूर्व या उत्तर की ओर हो. इसके बाद भगवान की प्रतिमा के सामने धूप-दीप प्रज्जवलित करें. उन्हें रोली लगाएं, अक्षत, पुष्प, दूर्वा, पान, सुपारी और भोग में लड्डू अर्पित करें. इसके बाद ॐ गणेशाय नमः या ॐ गं गणपते नमः मंत्र का जाप करें. शाम को व्रत कथा पढ़कर चंद्रमा को अर्घ्य दें इसके बाद ही अपना व्रत खोलें. अगले दिन स्नान के बाद किसी जरूरतमंद को सामर्थ्य के अनुसार दान दें.
व्रत वाले दिन दो शुभ योग
एकदंत संकष्टी चतुर्थी के दिन शुभ और शुक्ल नामक दो योग बन रहे हैं, जो धार्मिक रूप से काफी शुभ माने जाते हैं. चतुर्थी तिथि के दिन शुभ योग सुबह 11 बजकर 30 मिनट तक रहेगा, इसके बाद शुक्ल योग शुरू हो जाएगा. दोनों ही योग को शुभ फलदायक माना जाता है. इस दौरान किए गए कार्यों में सफलता प्राप्त होती है.

Ritisha Jaiswal
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