धर्म-अध्यात्म

कल है द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी...आप इस तरह करे गणेश जी की पूजा-अर्चना

Subhi
1 March 2021 6:27 AM GMT
कल है द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी...आप इस तरह करे  गणेश जी की पूजा-अर्चना
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कल यानी 2 मार्च को संकष्टी चतुर्थी है। इस दिन को द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी कहा जाता है।

कल यानी 2 मार्च को संकष्टी चतुर्थी है। इस दिन को द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी कहा जाता है। इस दिन भगवान गणेश का विधि-विधान के साथ पूजन किया जाता है। इसके साथ ही व्रत भी किया जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, हर माह दो बार चतुर्थी तिथि आती है। जो तिथि पूर्णिमा के बाद आती है उसे संकष्टी चतुर्थी कहा जाता है। वहीं, जो अमावस्या के बाद आती है उसे विनायक चतुर्थी कहा जाता है। अगर आप भी संकष्टी चतुर्थी का व्रत करेंगे तो हम आपको इसकी पूजन विधि की जानकारी दे रहे हैँ।

संकष्‍टी चतुर्थी की पूजा विधि:
इस दिन आपको सूर्योदय से पहले उठना चाहिए। फिर स्नानादि कर व्रत का संकल्प लें।
इसके बाद उत्तर दिशा की ओर मुंह कर बैठ जाएं। फिर भगवान गणेश की पूजा करें। इन्हें जल अर्पित करें।
इस जल में तिल मिलाएं। इसी से अर्घ्य दें। फिर दिनभर व्रत करें।
शाम के समय विधि-विधान के साथ गणेश जी की पूजा और आरती करें।
गणेश जी को दुर्वा चढ़ाएं। दुर्वा घास गणेश को बेहद प्रिय है तो इसे अर्पित करना न भूलें।
ध्यान रहे कि गणेश की को कभी भी तुलसी अर्पित न करें। ऐसे करने से गणेश जी नाराज हो जाते हैं।
इन्हें शमी का पत्ता और बेलपत्र चढ़ाएं।
गणेश जी को तिल के लड्डुओं का भोग लगाएं। उनकी आरती करें।
चांद को अर्घ्य जरूर दें। इसके बाद तिल के लड्डू या तिल खाकर व्रत खोल लें।
इस दिन अपनी सामर्थ्यनुसार तिल का दान अवश्य करना चाहिए।
मान्यता है कि इस दिन जो कंद-मूल जमीन के अंदर होते हैं उनका सेवन नहीं करना चाहिए।

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