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नई दिल्ली : पंचांग अनुसार आज का दिन विशेष है. आज एकादशी की तिथि है. फाल्गुन शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को आमलकी एकादशी, रंगभरी एकादशी भी कहा जाता है. विष्णु भगवान की पूजा के लिए आज का दिन अति शुभ है, साथ ही आज पुष्य नक्षत्र भी है. इस दिन की विशेषताओं के बारे में और अधिक आइए जानते हैं-
शुभ योग (20 March 2024 Panchang)
आमलकी एकादशी पर काफी शुभ योग बन रहे हैं. इस दिन रवि योग के साथ अतिगण्ड और पुष्य नक्षत्र बन रहा है. सुबह 06:25 मिनट से रवि योग शुरू होगा, जो रात 10:38 मिनट पर समाप्त होगा. इसके साथ ही अतिगण्ड योग सुबह से शाम 05:01 मिनट तक है. इसके अलावा पुष्य नक्षत्र रात 10:38 मिनट तक है.
रंगभरी और आमलकी एकादशी (Amalaki Ekadashi/Rangbhari Ekadashi 2024)
होली से चार दिन पहले आने से इसे रंगभरी एकादशी भी कहा जाता है. इस दिन से बनारस में बाबा विश्वनाथ को होली खेलकर इस पर्व की शुरुआत की जाती है. ब्रह्मांड पुराण के मुताबिक इस दिन आंवले के पेड़ और भगवान विष्णु की पूजा करने का विधान है. इस दिन शुभ ग्रह योगों के प्रभाव से व्रत और पूजा का पुण्य और बढ़ जाएगा.
मिलता है यज्ञों का पुण्य (Today Significance)
पद्म और विष्णु धर्मोत्तर पुराण का कहना है कि आंवले का वृक्ष भगवान विष्णु को बहुत प्रिय होता है. इस पेड़ में भगवान विष्णु के साथ ही देवी लक्ष्मी का भी निवास होता है.
इस वजह से आमलकी एकादशी के दिन आंवले के पेड़ के नीचे बैठकर भगवान विष्णु की पूजा करते हैं. मान्यता है कि इस दिन आंवले के पेड़ को पूजन और आंवले का दान करने से समस्त यज्ञों और 1 हजार गायों के दान के बराबर फल मिलता है. आमलकी एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति को मोक्ष मिल जाता है.
तिल, गंगाजल और आंवले से नहाने की परंपरा
इस एकादशी पर सूर्योदय से पहले उठकर पानी में गंगाजल की सात बूंद, एक चुटकी तिल और एक आंवला डालकर उस जल से नहाना चाहिए. इसे पवित्र या तीर्थ स्नान कहा जाता है. ऐसा करने से जाने-अनजाने में हुए हर तरह के पाप खत्म हो जाते हैं. इसके बाद दिनभर व्रत और भगवान विष्णु की पूजा करना चाहिए. इससे एकादशी व्रत का पूरा पुण्य फल मिलता है.
सूर्यास्त के बाद जलाएं दीपक
विष्णु जी की पूजा में तुलसी का इस्तेमाल खासतौर पर किया जाता है. मान्यता है कि तुलसी के पत्तों के बिना विष्णु जी भोग स्वीकार नहीं करते हैं, इसलिए भोग के साथ ही तुलसी जरूर रखी जाती है.
एकादशी विष्णु जी की तिथि है, लेकिन इस दिन विष्णु प्रिया तुलसी की भी विशेष पूजा करनी चाहिए. सुबह तुलसी को जल चढ़ाएं और शाम को सूर्यास्त के बाद तुलसी के पास दीपक जलाएं. ध्यान रखें शाम को तुलसी को स्पर्श न करें. दीपक जलाकर दूर से ही परिक्रमा करें.
पूजा विधि (Puja Vidhi)
सुबह उठकर भगवान विष्णु का ध्यान कर व्रत का संकल्प करें. संकल्प लेने के बाद स्नान से निवृत्त होकर भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए. दीपक जलाकर विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें.
पूजा के बाद आंवले के पेड़ के नीचे नवरत्न युक्त कलश स्थापित करें. आंवले के वृक्ष का धूप, दीप, चंदन, रोली, फूल और अक्षत से पूजन कर किसी गरीब या ब्राह्मण को भोजन कराना चाहिए.
अगले दिन स्नान कर स्नान कर पूजन के बाद कलश, वस्त्र और आंवला का दान करना चाहिए. इसके बाद भोजन ग्रहण कर व्रत खोलना चाहिए.
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Apurva Srivastav
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