धर्म-अध्यात्म

आज मासिक शिवरात्रि पर करें शिव-शक्ति की पूजा, जानें विधि

Subhi
8 July 2021 2:09 AM GMT
आज मासिक शिवरात्रि पर करें शिव-शक्ति की पूजा, जानें विधि
x
हिन्दू कैलेंडर के अनुसार, आषाढ़ मास की शिवरात्रि आज 08 जुलाई दिन गुरुवार को है। मासिक शिवरात्रि हर माह की चतुर्दशी तिथि अर्थात् 14वें दिन होती है।

हिन्दू कैलेंडर के अनुसार, आषाढ़ मास की शिवरात्रि आज 08 जुलाई दिन गुरुवार को है। मासिक शिवरात्रि हर माह की चतुर्दशी तिथि अर्थात् 14वें दिन होती है। यह पूरे माह में एक ही बार आती है, जबकि प्रदोष व्रत और एकादशी एक माह में दो बार आते हैं। मासिक शिवरात्रि के दिन देवों के देव महोदेव और माता पार्वती की विधिपूर्वक पूजा की जाती है। वैसे तो भक्तगण शिवरात्रि के दिन कभी भी भगवान शिव की आराधना कर लेते हैं, लेकिन इनकी पूजा का विशेष समय रात्रि प्रहर में ही होता हैं। शिवरात्रि का अर्थ ही है शिव की रात्रि। जागरण अध्यात्म में जानते हैं ​कि आषाढ़ शिवरात्रि के दिन पूजा किस मुहूर्त में करें और इसकी विधि क्या होनी चाहिए।

आषाढ़ शिवरात्रि 2021 पूजा मुहूर्त

आषाढ़ शिवरात्रि का प्रारंभ 08 जुलाई को तड़के 03 बजकर 20 मिनट से है। इसका समापन अगले दिन 09 जुलाई को सुबह 05 बजकर 16 मिनट पर होगा। 08 जुलाई को रात्रि में शिवरात्रि पूजा का योग बना है। इस दिन आप रात 12 बजकर 06 मिनट से लेकर देर रात 12 बजकर 47 मिनट तक शिव और शक्ति की आराधना कर सकते हैं। यह शिवरात्रि पूजा मुहूर्त है।

आषाढ़ शिवरात्रि पूजा विधि

वैसे तो आप मासिक शिवरात्रि के दिन कभी भी शिव और शक्ति की पूजा कर सकते हैं, रात्रि के प्रहर में पूजा करने की कोई बाध्यता नहीं है। भगवान शिव की पूजा के लिए राहुकाल भी मान्य नहीं होता है क्योंकि जो स्वयं महाकाल हैं, उनका राहु क्या कर सकता है। आषाढ़ शिवरात्रि के दिन सर्वप्रथम​ शिवलिंग का गंगाजल से अभिषेक कराएं। फिर माता पार्वती को स्नान कराएं। इसके बाद दोनों को क्रमश: वस्त्र अर्पित करें। इसके बाद शिव जी को सफेद चंदन लगाएं। बेलपत्र, भांग, धतूरा, मदार, गाय का दूध, शहद, शमी पत्र, फूल, फल, शक्कर आदि अर्पित करें। फिर माता पार्वती को श्रृंगार की सामग्री अर्पित करें। फिर शिव और शक्ति की धूप, दीप, गंध आदि से पूजा करें। इस दौरान ओम नम: शिवाय मंत्र का जाप करें। विशेष कार्य के लिए महामृत्युंजय मंत्र का जप कर सकते हैं। शिव चालीसा और पार्वती चालीसा का पाठ करें। पूजा के अंत में भगवान की आरती तथा माता पार्वती की आरती करें।



Next Story