धर्म-अध्यात्म

सावन का तीसरा सोमवार आज, जानें शुभ मुहूर्त और महत्व

Subhi
9 Aug 2021 3:06 AM GMT
सावन का तीसरा सोमवार आज, जानें शुभ मुहूर्त और महत्व
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सावन का महीना चल रहा है। सावन के महीने में भगवान शिव की विशेष पूजा अर्चना की जाती है। भगवान शिव की पूजा करने से भी कई प्रकार की मनोकामनाएं पूर्ण होती है।

सावन का महीना चल रहा है। सावन के महीने में भगवान शिव की विशेष पूजा अर्चना की जाती है। भगवान शिव की पूजा करने से भी कई प्रकार की मनोकामनाएं पूर्ण होती है। सावन मास में सोमवार के दिन का विशेष महत्व माना गया है। अब तक सावन का पहला सोमवार और सावन का दूसरा सोमवार बीत चुका हैं अब सावन का तीसरा सोमवार 09 अगस्त को पड़ रहा है। जानिए इस दिन के लिए शुभ मुहूर्त, पूजा-विधि और धार्मिक महत्व।

पूजा- विधि

सुबह जल्दी उठकर स्नान करें। इसके बाद साफ वस्त्र धारण करें।

घर के मंदिर में दीप जलाएं।

सभी देवी- देवताओं का गंगा जल से अभिषेक करें।

शिवलिंग पर गंगाजल और दूध चढ़ाएं।

भगवान शिव को पुष्प अर्पित करें।

भगवान शिव को बेल पत्र अर्पित करें।

भगवान शिव की आरती करें और भोग भी लगाएं।

इस बात का ध्यान रखें कि भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का भोग लगाया जाता है।

भगवान शिव का ध्यान करें।

पूजा- विधि

सुबह जल्दी उठकर स्नान करें। इसके बाद साफ वस्त्र धारण करें।

घर के मंदिर में दीप जलाएं।

सभी देवी- देवताओं का गंगा जल से अभिषेक करें।

शिवलिंग पर गंगाजल और दूध चढ़ाएं।

भगवान शिव को पुष्प अर्पित करें।

भगवान शिव को बेल पत्र अर्पित करें।

भगवान शिव की आरती करें और भोग भी लगाएं।

इस बात का ध्यान रखें कि भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का भोग लगाया जाता है।

भगवान शिव का ध्यान करें।

शुभ मुहूर्त

आज श्रावण कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि और सोमवार का दिन है। प्रतिपदा तिथि आज शाम 6 बजकर 56 मिनट तक रहेगी ।आज रात 10 बजकर 15 मिनट तक वरीयान योग रहेगा। साथ ही आज सुबह 9 बजकर 50 मिनट तक आश्लेषा नक्षत्र रहेगा। उसके बाद मघा नक्षत्र लग जायेगा। आज श्रावण महीने का तीसरा सोमवार है। इस सोमवार पर भगवान शिव का पूजन विशेष फल दायी है। अगर आप इस दिन कोई विशेष पूजा करवा रहे हो तो अभिजित मुहूर्त में करना शुभ होगा। अभिजित मुहूर्त 11.37 बजे से 12.30 तक रहेगा। इस काल में की हुई पूजा सर्वाधिक फल प्रदायनी मानी जाती है।

पूजा का महत्व

चातुर्मास चल रहा है। श्रावण यानि सावन का महीना चातुर्मास का पहला मास है। मान्यता है कि जब भगवान विष्णु का शयन काल के लिए पाताल प्रस्थान करते हैं तो पृथ्वी की बागड़ोर भगवान शिव को सौंप देते हैं। चातुर्मास के प्रथम मास सावन में भगवान शिव, माता पार्वती के साथ पृथ्वी लोक का भ्रमण करते हैं और शिव भक्तों का आशीर्वाद प्रदान करते हैं।



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