धर्म-अध्यात्म

सावन मास का आखिरी मंगला गौरी व्रत आज, जानें शुभ मुहूर्त, विधि और महत्व

Tara Tandi
17 Aug 2021 1:40 AM GMT
सावन मास का आखिरी मंगला गौरी व्रत आज, जानें शुभ मुहूर्त, विधि और महत्व
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आज सावन महीना का आखिरी मंगला गौरी व्रत

आज सावन महीना का आखिरी मंगला गौरी व्रत (Mangla Gauri Vrat) है. ये दिन भगवान शिव और माता पार्वती के लिए महत्वपूर्ण होता है. मान्यता है कि इस महीने में भगवान शिव की पूजा करने से आपकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती है. इस महीने में मंगला गौरी व्रत बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है. मान्यता है कि इस व्रत को करने से वैवाहिक जीवन में होने वाली सभी परेशानियां दूर हो जाती है. अगर आपकी कुंडली में मंगल दोष है तो ये व्रत करना बहुत फलदायी माना जाता है. मंगला गौरी व्रत सुहागिन महिलाएं करती हैं. आइए जानते हैं इस व्रत से जुड़ी महत्वपूर्ण बातों के बारे में.

कौन है माता मंगला गौरी

हिंदू मान्यताओं के अनुसार देवी पार्वती को ही मंगला गौरी के रूप मे पूजा जाता है. ये मां दुर्गा के आठवें स्वरूप महागौरी के नाम से जाना जाता है. मान्यता है कि देवी पार्वती ने भगवान शिव को प्रसन्न करने के कठोर तपस्या की थी. इस दौरान उनका रंग लाल पड़ गया था. लेकिन भोलेनाथ ने गंगा जल का प्रयोग कर मां को फिर से गोरा रंग प्रदान कर दिया. इस वजह से उनका नाम महागौरी पड़ गया. मां मंगला गौरी श्वेत वस्त्र और आभूषण धारण करती हैं.

मंगला गौरी व्रत की पूजा विधि

मंगला गौरी व्रत के दिन सुबह- सुबह उठकर स्नान करें और साफ- सुथरे कपड़े पहनकर व्रत और पूजा करने का संकल्प लें. इसके बाद घर के पूजा स्थल में माता पार्वती की मूर्ति स्थापित करें और विधि – विधान से पूजा करें. पूजा के बाद माता को श्रृंगार का सामान भेट चढ़ाएं. इस दिन व्रत करने वाली महिलाएं पूरे दिन में एक बार खाना खाती हैं. पूजा में माता को नारियल, इलायची, लौंग, सुपारी और मिठाई अर्पित करें. पूजा के बाद गरीबों में अनाज और कपड़ो का दान करना चाहिए.

मंगला गौरी व्रत महत्व

मंगला गौरी का व्रत रखने से सुहागिन महिलाओं को अखंड सौभाग्यवती होने का फल मिलता है. इसके अलावा संतान प्राप्ति के लिए भी ये व्रत बहुत महत्वपूर्ण होता है. इस दिन शिव मंदिर में पति- पत्नी भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करते हैं. ये व्रत विशेष रूप से सुहागिन महिलाएं रखती हैं.

नोट- यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं, इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.

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