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आज वसंत पंचमी पर ऐसे करें सरस्वती पूजा, जाने शुभ मुहूर्त और उपाय
आज वसंत पंचमी का त्योहार है। इस माघ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि पर मां सरस्वती पूजा की जाती है। मान्यता है कि वसंत पंचमी के दिन ही ज्ञान, कला, विद्या और वाणी प्रदान करने वाली मां सरस्वती का जन्म हुआ था।वसंत पंचमी तिथि को अबूझ मुहूर्त माना गया है यानी इस तिथि पर बिना मुहूर्त के कोई भी शुभ कार्य संपन्न किया जा सकता है। शास्त्रों में वसंत पंचमी को बहुत ही शुभ दिन और दोषमुक्त तिथि माना गया है। इस दिन सभी प्रकार के शुभ कार्य जैसे विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन संस्कार, अनुष्ठान, व्यापार आरंभ करना, सोने चांदी की खरीदारी और विद्यारंभ संस्कार जैसे शुभ कार्य करना बहुत ही शुभ और फलित होते हैं। वसंत पंचमी के दिन देवी सरस्वती की पूजा करना बहुत शुभफलदायी होता है। आइए जानते हैं वसंत पंचमी पर किस शुभ मुहूर्त में कैसे करें मां सरस्वती की पूजा।
वसंत पंचमी 2022 तिथि और शुभ मुहूर्त
वसंत पंचमी- 5 फरवरी, शनिवार 2022
पूजा मुहूर्त: 07:07 मिनट से 12:35 मिनट तक
अवधि: 5 घंटे 28 मिनट
वसंत पंचमी पर त्रिवेणी योग
ज्योतिष गणना के अनुसार इस वर्ष वसंत पंचमी के दिन त्रिवेणी योग का संयोग बन रहा है। इन तीन शुभ योग में विद्यारंभ और शुभ कार्य करने बहुत ही फलदायी रहेगा। आइए जानते हैं कौन से हैं ये तीन शुभ योग...
पहला शुभ योग- सिद्धि योग
दूसरा शुभ योग- साध्य योग
तीसरा शुभ योग- रविव योग
वसंत पंचमी पर सरस्वती पूजा विधि
सबसे पहले सुबह जल्दी से सो कर उठें और घर की साफ सफाई करें और पूजा की सामग्री एकत्रित करें।
वसंत पंचमी पर पूजा से पहले स्नान करते समय शरीर पर नीम और हल्दी का लेप करें।
स्नान करने के बाद पूजा का संकल्प लेते हुए सूर्यदेव को जल अर्पित करें और अपने आराध्य देव की मन में आराधना करें।
सूर्यदेव को जल देने के बाद मां सरस्वती का प्रिय रंग पीला या फिर सफेद रंग के कपड़े पहनें।
मां सरस्वती की आराधना करने से पहले पूजा स्थल पर पट्टे के ऊपर देवी सरस्वती की प्रतिमा को स्थापित करें। साथ ही बगल में भगवान गणेश की मूर्ति को स्थापित करें।
देवी सरस्वती और भगवान गणेश की मूर्ति स्थापित करने के साथ मां की प्रिय चीज जैसे पुस्तक, पेन,वीणा या फिर कोई कलाकृति रखें।
देवी सरस्वती की पूजा आराधना में पूजा की थाली में हल्दी, कुमकुम, चावल, गंगाजल और पीले रंग के पुष्य रखें।
इसके बाद गणेश आराधना करके के मां को पीले या सफेद रंग के वस्त्र अर्पित करें।
वस्त्र अर्पित करने के बाद मां को पीले रंग का तिलक लगाएं और पीले फूल अर्पित करते हुए सभी सामग्रियां उन्हें अर्पित करें।
अंत में सरस्वती वंदना करते हुए इस मंत्र का जाप करें।
या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता।
या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना॥
या ब्रह्माच्युत शंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता।
सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा॥१॥
शुक्लां ब्रह्मविचार सार परमामाद्यां जगद्व्यापिनीं।
वीणा-पुस्तक-धारिणीमभयदां जाड्यान्धकारापहाम्॥
हस्ते स्फटिकमालिकां विदधतीं पद्मासने संस्थिताम्।
वन्दे तां परमेश्वरीं भगवतीं बुद्धिप्रदां शारदाम्॥२॥