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गुरुवार का दिन भगवान श्रीहरि विष्णु को समर्पित होता है। इस दिन श्रीहरि विष्णु जी की पूजा-उपासना की जाती है। धार्मिक मान्यता है कि गुरुवार के दिन भगवान नारायण की पूजा-आराधना करने से घर में सुख का आगमन होता है।
गुरुवार का दिन भगवान श्रीहरि विष्णु को समर्पित होता है। इस दिन श्रीहरि विष्णु जी की पूजा-उपासना की जाती है। धार्मिक मान्यता है कि गुरुवार के दिन भगवान नारायण की पूजा-आराधना करने से घर में सुख का आगमन होता है। ज्योतिषों की मानें तो गुरु मजबूत रहने से अविवाहित जातक की शीघ्र शादी हो जाती है। इसके लिए ज्योतिष हमेशा अविवाहित लड़कियों को गुरुवार का व्रत करने की सलाह देते हैं। गुरु के बली होने से करियर और कारोबार में तरक्की और उन्नति मिलती है। इसके लिए सुहागिन महिलाएं घर में सुख, शांति और समृद्धि तथा अविवाहित लड़कियां मनचाहा वर प्राप्ति के लिए गुरुवार का व्रत करती हैं। ऐसी मान्यता है कि इस व्रत को करने से मनचाहा वर और मनचाही नौकरी भी मिलती है। आइए, इस व्रत के बारे में सबकुछ जानते हैं-
गुरुवार व्रत कथा
प्राचीन समय में एक राजा था, जो बहुत दानवीर था। साथ ही वह गुरुवार का भी व्रत भी रखता था। हालांकि, उसकी पत्नी को यह सब बिल्कुल पसंद नहीं था। एक बार बृहस्पति देव सन्यासी रूप धारण कर भक्षा मांगने राजा के घर आए। साधु को देख रानी की भौंहें चमकने लगी। जब साधु ने भिक्षा मांगी, तो रानी ने बाद में आने की बात की। साधु ने दोबारा भिक्षा मांगी। यह सुन रानी बोली-साधु महाराज ! ऐसा कोई उपाय बताओ, जिससे दान दाने की परेशानी से मुक्ति मिल जाए। उस समय बृहस्पति देव ने कहा-गुरुवार के दिन तामसी भोजन करना, साबुन से अपने बालों को धोना, बालों का काटना, मदिरा पान करना। सात गुरुवार को इन चीजों को करना। इससे तुम्हें दान और भिक्षा देने से मुक्ति मिल जाएगी। रानी ने अगले सात गुरुवार को सभी साधु के कथनों का पालन किया। इससे राजा की कुल संपत्ति नष्ट हो गई। राजा जीविकोपार्जन हेतु बाहर कमाने चला गया। रानी को खाने के लाले पड़ने लगे। यह देख रानी ने दासी को अपनी बहन के घर भेजा। हालांकि, गुरुवार व्रत कथा सुनने में लीन थी। अतः उसने दासी को कुछ नहीं दिया। दासी खाली हाथ वापस लौट गई। रानी की बहन पूजा संपन्न कर आई, तो बोली-गुरुवार व्रत के दौरान न उठते हैं और न ही बोलते हैं। इसके लिए दासी को कोई जबाव नहीं दिया। रानी की व्यथा सुन उसकी बहन बोली-तुम गुरुवार का व्रत करो। सबकुछ सही हो जाएगा। इसके बाद रानी ने गुरुवार का व्रत शुरू किया। इससे बृहस्पति देव प्रसन्न होकर राजा की संपत्ति लौटा दी। अतः गुरुवार व्रत का विशेष महत्व है।
गुरुवार व्रत पूजा विधि
इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठें और घर की साफ-सफाई करें। इसके बाद गंगाजल युक्त पानी से स्नान ध्यान कर पीले रंग का वस्त्र (कपड़े) पहनें। अब यथाशीघ्र ( मौन रह) भगवान भास्कर और केले के पेड़ को जल का अर्घ्य दें। इसके बाद केले के पेड़ की पूजा गुड़, चने की दाल, केले, पीले चंदन और फूल से करें। गुरुवार व्रत कथा का पाठ करें। अंत में भगवान श्रीहरि विष्णु जी की आरती कर मनचाहे वर की कामना नारायण हरि विष्णु से करें। दिनभर अपनी क्षमता के अनुसार उपवास रखें। शाम में आरती-अर्चना के बाद पीले रंग युक्त भोजन करें। इसके लिए आप बेसन की रोटी बनाकर खा सकती हैं। अगले दिन नित्य दिनों की तरह पूजा पाठ सम्पन्न कर व्रत खोलें। एक चीज का ध्यान रखें कि गुरुवार को तेल और साबुन का उपयोग न करें।
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